डाक विभाग के भुगतान बैंक के उद्घाटन के मौके पर संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक किस्सा साझा करते हुए बताया कि कैसे स्कूल के समय खुला हुआ बैंक खाता बंद कराने के लिए बैंक अधिकारियों ने उन्हें 32 साल बाद ढूंढ निकाला. साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक वह गुजरात के विधायक नहीं बने तब तक उनके पास कोई ऑपरेशनल खाता नहीं था.
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को डाक विभाग के भुगतान बैंक के शुभारंभ के दौरान संबोधित करते बचपन का एक किस्सा शेयर किया. उन्होंने कहा कि विधायक बनने तक उनके पास कोई ऑपरेशनल बैंक खाता नहीं था क्योंकि उनके पास कभी इतना पैसा ही नहीं रहा. स्कूल के दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन दिनों बैंक एक योजना लाई थी जिसके तहत स्टूडेंट्स को गुल्लक दी जाती थी और साथ ही उनका खाता खोला जाता था.
उन्होंने बताया कि एक गुल्लक मुझे भी दी गई लेकिन वो हमेशा खाली रहती थी. बाद में मैंने गांव छोड़ दिया उसके बाद भी बैंक खाता चालू रहा और बैंक अधिकारियों उसे हर साल आगे बढ़ाना पड़ता था. बैंक के अधिकारी खाता बैंक करने के चलते मेरी तलाश कर रहे थे. पीएम ने बताया कि कैसे 32 साल के बाद अधिकारियों ने उन्हें ढूंढ निकाला. पीएम ने बताया कि इतने सालों के बाद उन्हें पता लगा कि मैं किसी खास स्थान पर हूं वे वहां आए और मुझसे कहा कि कृपया हस्ताक्षर कर दीजिए हमें आपका खाता बंद करना है.
पीएन ने आगे बताया कि गुजरात में विधायक बनने के बाद जब उनकी सैलरी आने लगी तो उन्हें फिर से खाता खुलवाना पड़ा. उन्होंने कहा इससे पहले मेरे पास कोई भी ऑपरेशनल (लेन-देन) वाला खाता नहीं था. बता दें कि पीएम मोदी ने शनिवार को डाक विभाग के भुगतान बैंक का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने अपने बचपन से जुड़ा ये किस्सा लोगों से साझा किया.
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