नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिए गए पहले फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल लीडरशिप अवार्ड (Philip Kotler Presidential Leadership Award) पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के पुरस्कार जूरी पर सवाल उठाने के बाद शुरुआती भ्रम के बाद खुद मार्केटिंग गुरु फिलिप कोटलर ने ट्वीट करके और इंटरव्यू देकर साफ किया है कि उनके द्वारा शुरू की गई वर्ल्ड मार्केटिंग सम्मिट के द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री को ये अवार्ड देने का फैसला उनका है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फिलिप कोटलर अवार्ड पर तंज करते हुए कहा था- “मैं हमारे प्रधानमंत्री को विश्व प्रसिद्ध कोटलर प्रेसिडेंशियल अवार्ड जीतने पर बधाई देता हूं. असल में ये इतना प्रसिद्ध है कि इसकी कोई जूरी नहीं है, इससे पहले ये किसी को नहीं दिया गया है और इसके पीछे अलीगढ़ की एक इससे पहले नहीं सुनी गई कंपनी है.”
अलीगढ़ की जिस ससलेंस रिसर्च इंटरनेशनल का नाम इस अवार्ड के भारतीय पार्टनर के रूप में सामने आया उसके रजिस्टर्ड ठिकाने पर कंपनी का कोई पता-ठिकाना नहीं मिला और कंपनी की साइट पर दर्ज मोबाइल नंबर भी किसी और का निकला. जब अलीगढ़ की कंपनी के पता और नंबर में गड़बड़ी की खबरें मीडिया में आने लगीं तो मामला और विवादित होने लगा और लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीएमओ ने गलतफहमी में कोई ऐसा अवार्ड ले लिया है जिसे नहीं लेना चाहिए था.
राहुल गांधी के ट्वीट के बाद भारतीय मीडिया से कुछ समाचार चैनलों ने फिलिप कोटलर से ई-मेल के जरिए संपर्क किया जिसमें कोटलर ने पीएम मोदी को दिए गए इस फिलिप कोटलर अवार्ड को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की और कहा कि किसी भारतीय कंपनी को उनके नाम के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है लेकिन वो कुछ समय बाद ट्विटर और बाकी मीडिया पर बयान जारी करेंगे. फिर कोटलर ने ट्वीटर पर पीएम मोदी को बधाई देते हुए कहा कि पीएम मोदी को शानदार नेतृत्व और भारत की निःस्वार्थ सेवा के लिए पहले फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल लीडरशिप अवार्ड के लिए चुना गया है.
कोटलर ने एक के बाद एक तीन ट्वीट में कहा कि पीएम मोदी की बिना थके काम करने की ऊर्जा से भारत में असाधारण सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी विकास हुआ है. पीएम मोदी के पहला अवार्ड जीतने से भविष्य के विजेताओं के लिए मानदंड ऊंचा हो गया है. उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी को उनके मित्र जग सेठ और वर्ल्ड मार्केटिंग सम्मिट द्वारा दिए गए अवार्ड पर भारतीय मीडिया के साथ उनकी गलतफहमी हो गई जिसका जवाब उन्होंने मार्केटिंग जर्नल नाम की एक वेबसाइट को इंटरव्यू में दिया है.
फिलिप कोटलर ने मार्केटिंग जर्नल को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी को दिए अवार्ड पर जो कहा है वो हम बिना छेड़छाड़ के आगे साधारण भाषा में आगे लिख रहे हैं. अंग्रेजी में वो इंटरव्यू पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक करें- पीएम नरेंद्र मोदी के अवार्ड पर फिलिप कोटलर का इंटरव्यू
जैसा कि आपको पता होगा कि मैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का तीखा आलोचक रहा हूं. हमारे देश में लोकतंत्र एक संकट से गुजर रहा है. पूरी दुनिया में हम देखते हैं कि कुछ नेता हैं जिन्होंने सही नेतृत्व देकर अपने देश को वैश्विक मंच पर लाया है. राजनीतिक क्षेत्र में मेरे संगठन वर्ल्ड मार्केटिंग सम्मिट (डब्ल्यूएमएस) ने अभी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले फिलिप कोटलर प्रेसिडेंशियल अवार्ड से सम्मानित किया है. इस अवार्ड के पीछे सोच ये है कि एक ऐसे बड़े जननेता को सम्मानित किया जाए जिसने अपने देश के लोकतंत्र और आर्थिक विकास में नई जान फूंक दी हो. कोटलर लीडरशिप अवार्ड पाने वाला नेता वो है जो-
1. प्रतिनिधित्व वाली सरकार और सामाजिक न्याय में यकीन रखता हो
2. ये मानता हो कि एक अच्छे समाज से एक अच्छा व्यापारिक माहौल बनेगा
3. व्यापार करने वालों में इस सोच और बातचीत को बढ़ावा देता हो कि मुनाफा, जनता और धरती में बैलेंस बनाने की जरूरत है
4. आम हित के लिए पूरी प्रतिबद्धता और दिल से काम करता हो.
इन मानकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे आगे पाए गए. उन्होंने वैश्विक मंचों पर अपने देश की छवि और धमक को बेहतर किया है. डब्ल्यूएमएस में एक कमिटी ने संभावित नेताओं के नाम पर इन मानकों पर वोट किया लेकिन इस पर अंतिम फैसला मेरा था.
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इंटरव्यू में उनसे आगे एक सवाल पूछा गया है कि भारत में इस अवार्ड पर विवाद हो गया है और उनका इस पर क्या कहना है. इस पर कोटलर कहते हैं- आपको पता ही है कि भारत में मजबूत लोकतंत्र है. विपक्ष ने अवार्ड की आलोचना शुरू कर दी जो खेद की बात है क्योंकि ये अवार्ड जितना पीएम मोदी का सम्मान करता है, उतना ही सम्मान ये भारत के लिए है. दुर्भाग्य से मैं भारत नहीं जा सका. मेरे डॉक्टर ने मुझे फिलहाल भारत की लंबी यात्रा करने से मना किया था. तो मैंने अपने जिगरी दोस्त और प्रतिष्ठित मार्केटिंग प्रोफेसर जगदीश सेठ से कहा कि मेरे बदले वो ये अवार्ड पीएम मोदी को दें.
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