नई दिल्ली. देश के प्रधानमंत्री की ना कोई जाति होती है, ना धर्म, वो तो बस भारत का प्रधानमंत्री होता है. ये कहने-सुनने में ठीक है लेकिन जिस देश में गरीबी, बेरोजगारी, सस्ती शिक्षा, सस्ता इलाज जैसे मसले छोड़कर नेताओं की जाति पर बहस हो, उस देश को 21वीं सदी में पहुंचने में कम से कम एक-दो सदी तो और लगना ही चाहिए. ताजा मामला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति और उनके ओबीसी यानी अति पिछड़ी जाति के होने पर बीएसपी सुप्रीमो मायावती और एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव के सीधे और तीखे हमले से है.
मैनपुरी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे सपा के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के समर्थन में एक रैली में बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि मुलायम सिंह यादव असली ओबीसी हैं जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नकली ओबीसी है. अखिलेश यादव ने इसमें जोड़ा कि मुलायम सिंह यादव पैदा ही ओबीसी जाति में हुए जबकि नरेंद्र मोदी कागज पर ओबीसी बनाई गई जाति में पैदा हुए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति पर एक विवाद 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले भी हुआ था जब प्रियंका गांधी ने नरेंद्र मोदी की राजनीति को नीच राजनीति कहा तो नरेंद्र मोदी ने उसे अपने ऊपर लेकर नीच जाति का बोलने का मसला बना दिया. तो फिर जानते हैं असल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोढ़ घांची जाति ओबीसी है या नहीं.
- सवाल- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति क्या है
जवाब– मोढ़ घांची. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति मोढ़ घांची है. गुजरात में जिन जातियों के आगे मोढ़ लगा होता है उन्हें संपन्न और ऊंची जाति का माना जाता है. घांची जाति मूल रूप से तेल निकालने वाली बनिया जाति है. तेल मिल के प्रसार के बाद इस जाति ने दूसरे व्यापार-धंधे में हाथ आजमाया. गुजरात में घांची हिन्दू के साथ-साथ मुसलमान भी हैं. घांची मुसलमान ओबीसी लिस्ट में शामिल हैं. - सवाल- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोढ़ घांची जाति ओबीसी है या नहीं
जवाब– हां. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मोढ़ घांची जाति अत्यंत पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी है. मोढ़ घांची जाति को गुजरात राज्य और केंद्र दोनों ने आरक्षण सूची में ओबीसी लिस्ट में रखा है. - सवाल- क्या पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात का सीएम बनने के बाद अपनी जाति मोढ़ घांची को ओबीसी लिस्ट में शामिल किया
जवाब– नहीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात का सीएम बनने के बाद अपनी जाति मोढ़ घांची को ओबीसी लिस्ट में शामिल नहीं किया. नरेंद्र मोदी 7 अक्टूबर, 2001 को गुजरात का मुख्यमंत्री बने थे जबकि उनकी मोढ़ घांची जाति को गुजरात की ओबीसी लिस्ट में 25 जुलाई, 1994 को ही शामिल कर लिया गया था. 1994 में जब मोढ़ घांची जाति को गुजरात सरकार ने ओबीसी में शामिल किया उस वक्त राज्य में कांग्रेस की सरकार थी जिसके मुख्यमंत्री छबीलदास मेहता थे और शक्ति सिंह गोहिल सरकार में कैबिनेट मंत्री थे. - सवाल- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जाति मोढ़ घांची को गुजरात और केंद्र सरकार की ओबीसी लिस्ट में कैसे जगह मिली
जवाब– 21 जून, 1975 को इंदिरा गांधी की इमरजेंसी की शुरुआत से ठीक एक सप्ताह पहले 18 जून को गुजरात में जनता मोर्चा सरकार के सीएम बने बाबूभाई पटेल ने अपने 9 महीने के कार्यकाल में बख्शी कमीशन का गठन किया था जिसे राज्य में अति पिछड़ी जातियों की स्थिति पर रिपोर्ट देने कहा गया. 12 मार्च, 1976 को पटेल की सरकार बर्खास्त करके राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. इमरजेंसी के बाद 1977 में जब चुनाव हुए तो 11 अप्रैल, 1977 को जनता पार्टी की सरकार में दोबारा बाबूभाई पटेल सीएम बने और 17 फरवरी, 1980 तक इस पद पर रहे जब दोबारा राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. बख्शी कमीशन ने 1978 में अपनी रिपोर्ट बाबूभाई पटेल सरकार को सौंप दी जिसमें 82 जातियों को ओबीसी में शामिल करने की सिफारिश की गई जिसमें पीएम मोदी की मोढ़ घांची जाति भी थी. लगभग 16 साल बाद 25 जुलाई, 1994 को कांग्रेस की छबीलदास मेहता सरकार ने बख्शी कमीशन की सिफारिश में शामिल 82 में 36 जातियों को गुजरात की ओबीसी लिस्ट में शामिल कर दिया और इसमें मोढ़ घांची जाति शामिल थी. फिर 6 सितंबर, 2001 यानी मोदी के गुजरात का सीएम बनने से एक महीना पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने मोढ़ घांची जाति को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल कर लिया. इस तरह मोदी के मुख्यमंत्री बनने से पहले मोढ़ घांची जाति गुजरात और केंद्र दोनों स्तर पर ओबीसी लिस्ट में शामिल हो चुकी थी. - सवाल- कांग्रेस क्यों कहती है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सीएम बनने के बाद मोढ़ घांची जाति ओबीसी लिस्ट में शामिल किया
जवाब– 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान प्रियंका गांधी के ‘नीच राजनीति’ बयान से शुरू हुआ बवाल नीच जाति तक पहुंच गया और तब कांग्रेस की तरफ से शक्ति सिंह गोहिल ने 1 जनवरी, 2002 का गुजरात सरकार का नोटिफिकेशन दिखाकर यह आरोप लगाया था कि मोढ़ घांची ऊंची जाति है और नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी जाति को पिछड़ी जातियों की ओबीसी लिस्ट में शामिल करवाया. सच्चाई ये है कि 1 जनवरी, 2002 को गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने ओबीसी जातियों की संशोधित केंद्रीय लिस्ट जारी की थी जिसमें 6 सितंबर, 2001 के सेंट्रल नोटिफिकेशन के आधार पर मोढ़ घांची को ओबीसी लिस्ट में शामिल कर लिया गया था. मोढ़ घांची को सेंट्रल ओबीसी लिस्ट में 6 सितंबर, 2001 को ही शामिल कर लिया गया था. बस गुजरात में इस नोटिफिकेशन के आधार पर 1 जनवरी, 2002 को एक संशोधित यानी अपडेटेड सूची जारी हुई जिसे आधार बनाकर कांग्रेस ने ये आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने सीएम बनने के बाद अपनी जाति को ओबीसी में शामिल किया.
तो अब ये साफ है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनने से पहले ही ओबीसी बन चुके थे. उनकी मोढ़ घांची जाति गुजरात में 1994 और केंद्र में 2001 के सितंबर से ही ओबीसी लिस्ट में शामिल थी. बाकी चुनावी मौसम है तो पीएम नरेंद्र मोदी के ओबीसी जाति के होने या ना होने पर नेता राजनीति करने से कैसे चूक सकते हैं जब देश में ओबीसी वोटरों की संख्या 50 परसेंट से ऊपर हो.
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