प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंगनवाड़ी, आशा और एएनएम कर्मियों को संबोधित करते हुए बच्चों और गर्भवती महिलाओं के जीवन में उनकी भूमिका पर बातचीत की. पीएम ने कई सरकारी योजनाओं जैसे एनिमीया मुक्त भारत, सुरक्षित मातृत्व अभियान को लोगों तक पहुंचाने की अपील की जिससे बच्चों और माताओं के स्वास्थ्य को हानि ना हो.
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को आंगनवाड़ी, आशा और एएनएम वर्कर्स को संबोधिक किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार पोषण और स्वास्थ्य की गुणवत्ता जैसे मुद्दों पर और ज्यादा ध्यान देगी. इस मौके पर उन्होंने कर्मियों की तारीफ करते हुए कहा कि वाकई आपने बच्चों का जीवन बचाने का कार्य किया है. उन्होंने झारखंड की एक महिला का किस्सा शेयर करते हुए कहा कि एक नवजात शिशु को परिवारवालों ने मृत मान लिया था. नवजात केयर प्रशिक्षण का उपयोग कर झारखंड की मनीता देवी ने उपचार शुरू किया, एंबुलेंस से स्वास्थ्य केंद्र ले गई.
पीएम ने कहा कि वेक्सिनेशन के लिए सरकार काम कर रही है, जिससे महिलाओं और बच्चों को मदद मिल रही है. राजस्थान के झुंझुनू में यह अभियान शुरू हुआ था, जिसमें महिलाओं और बच्चों का शामिल होना जरूरी है. उन्होंने कहा सरकार ने सुरक्षित मातृत्व अभियान चलाया है उसकी अधिक से अधिक जानकारी आप लोगों तक पहुंचाएं. पहले जन्म के 42 दिन तक आशा वर्कर 6 बार बच्चे के घर जाती थी. अब 15 महीने तक 11 बार आपको बच्चे का हालचाल लेना जरूरी है.
पीएम ने कर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर के माध्यम से आप हर साल देश की सवा करोड़ बच्चों की देखभाल कर रही हैं. अब इस कार्यक्रम और विस्तार देते हुए इसे होम बेस्ड चाइल्ड केयर नाम दिया गया है. पीएम ने कहा कि एनीमिया हर साल एक प्रतिशत की दर से घट रही है राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत इस गति को तीन गुना किया जाए. एनीमिया मुक्त भारत का मतलब है गर्भवती महिलाओं और बच्चों को जीवन दान.
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