देश-प्रदेश

PM Narendra Modi in Jungle: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खुलासा- हर साल पांच दिन अकेले जंगल में बिताए

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी को कुछ सलाह दी है. ये सलाह खास तौर पर उनके युवा दोस्तों यानि देश के युवाओं के लिए है. दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकप्रिय फेसबुक पेज द ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को एक इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वो अपने जीवन पर अच्छी छाप बनाने के लिए हर साल दीवाली के दौरान पांच दिनों के लिए एक जंगल में केवल साफ पानी और बिना किसी इंसान के चले जाते थे. उन्होंने कहा, ‘यही कारण है कि मैं हमेशा सभी से विशेषकर मेरे युवा मित्रों से कहता हूं की अपने तेज-तर्रार जीवन और व्यस्त कार्यक्रम के बीच, कुछ समय निकालकर सोचने और आत्मनिरीक्षण करें. यह आपकी धारणा को बदल देगा आप अपने आंतरिक मन को बेहतर समझेंगे.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसा करने से आप शब्द के सही अर्थों में जीना शुरू कर देंगे. यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं इस पर ध्यान देने से आपको दूर कर देगा. ये सभी चीजें आने वाले समय में आपकी मदद करेंगी. इसलिए मैं चाहता हूं कि आप में से हर एक को यह याद रहे कि आप विशेष हैं और आपको सकारात्मकता के लिए बाहर खोज नहीं करनी चाहिए बल्कि उसे अपने अंदर ढूंढे.’ प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बचपन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, आरएसएस के प्रति झुकाव के बारे में, हिमालय की अपनी दो साल लंबी यात्रा के बारे में और 17 साल की उम्र में दिए अपने पहले इंटरव्यू के बारे में भी बात की.

उन्होंने कहा, ‘हिमालय से वापस आने के बाद मुझे पता था कि मैं क्या चाहता था. मैं चाहता था कि मेरा जीवन एक ऐसा हो जो दूसरों की सेवा में रहे. वहां से लौटने के कुछ ही समय बाद मैं अहमदाबाद चला गया. एक बड़े शहर में रहने का ये पहला अनुभव था. वहां जीने का तरीका बहुत अलग था. मैंने वहां अपने अंकल की कैंटीन में मदद के साथ काम शुरू किया.’ पीएम मोदी ने बताया, ‘धीरे-धीरे मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रचारक बन गया. वहां मुझे विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ बातचीत करने और अलग-अलग काम करने का मौका मिला. मैंने आरएसएस कार्यालय को साफ करने, सहकर्मियों के लिए चाय और खाना तैयार करने और बर्तन साफ ​​करने का काम किया.’

उन्होंने बताया, ‘मैं काम में व्यस्त रहने लगा लेकिन कभी हिमालय में शांति की जो भावना मैंने हासिल की उसे नहीं खोने देना चाहता था.’ इसलिए वो हर साल कुछ दिन निकाल कर आत्मनिरीक्षण करने के लिए जंगल में चले जाते थे ताकि संतुलित जीवन जी सकें. इस बारे में उन्होंने कहा, ‘बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं लेकिन मैं दिवाली पर 5 दिनों के लिए दूर चला जाता था. मैं कहीं किसी जंगल में जाता हूं जहां केवल साफ पानी हो लेकिन कोई इंसान ना हो. मैं उन 5 दिनों के लिए पर्याप्त खाना पैक करके ले जाता था. वहां कोई रेडियो या न्यूजपेपर नहीं होता और उस समय तो कोई टीवी या इंटरनेट भी नहीं था.’

उन्होंने कहा, ‘यही मेरे जीवन में दिखता है. जो ताकत मुझे इससे मिली वो अब भी मुझे जीवन और इसके विभिन्न अनुभवों को संभालने में मदद करती है. लोग अक्सर मुझसे पूछते थे, आप किससे मिलने जा रहे हैं? और मैं कहता था, मैं मुझसे मिलने जा रहा हूं.’

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Aanchal Pandey

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