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Narendra Modi Government To Change Financial Year: लोकसभा चुनाव से पहले वित्त वर्ष को बदलकर जनवरी-दिसंबर कर सकती है नरेंद्र मोदी सरकार, ये हैं फायदे और नुकसान

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले देश की नरेंद्र सरकार एक बड़ा फैसला करते हुए वित्त वर्ष को मार्च-अप्रैल से बदलकर जनवरी-दिसंबर कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 1 फरवरी को सरकार 152 सालों से चली आ रही परंपरा को बदलने की आधिकारिक घोषणा भी कर सकती है. सरकार के इस फैसले को लेकर माना जा रहा है कि शुरूआती दौर में यह कारोबारियों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है. हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि वित्तीय वर्ष को बदलने का निर्णय से देश को फायदा हो सकता है.

जानिए वित्त वर्ष (Financial Year) बदलने से क्या होगा असर
अभी तक सरकार और वित्तीय संस्थान फाइनेंशियल ईयर यानी वित्त वर्ष के अनुसार ही कार्य करते हैं. आम बजट भी वित्त वर्ष को देखते हुए ही फरवरी महीने में पेश किया जाता है. अब सरकार इसमें बदलाव करती है तो असर भी लाजिमी है. अगर वित्त वर्ष जनवरी-दिसंबर किया जाता है तो देश का बजट पेश होने का समय बदला जा सकता है. साथ ही 31 दिसंबर से पहले ही सभी सभी सरकारी विभागों और मंत्रालयों को सारे खर्च करने पड़ेंगे. साथ ही इनकम टेक्स रिटर्न फाइल करने की डेट भी बदली जाएगी.

जानिए वित्त वर्ष (Financial Year) बदलने का क्या होगा फायदा
चार्टर्ड अकाउंटेंट विकास जैन के अनुसार, वित्त वर्ष बदलने का इंटरनेशनल स्तर की कंपनियों को फायदा पहुंच सकता है क्योंकि कई बड़े देशों में वित्त वर्ष जनवरी-दिसंबर ही चलता है. अगर भारत में यह बदलाव हुआ तो काफी कंपनियों को भारत और दूसरे देशों के लिए अलग-अलग प्लानिंग नहीं करनी होगी. इससे उन कंपनियों के लिए भारत में कारोबार के तौर-तरीके सरल हो जाएंगे और देश के अर्थव्यवस्था के आंकड़ों का दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था का आंकलन आसानी से हो जाएगा.

वहीं शेयर बाजार के टेक्निकल एनालिस्ट सुनील मिगलानी कहते हैं कि अगर वित्त वर्ष में बदलाव हुआ तो सरकार को बजट की राशि दिसंबर से पहले ही खर्च करनी होगी. इससे खेती-बाड़ी सेक्टर को फायदा पहुंचेगा क्योंकि देश के कई हिस्सों में प्रमुख फसलों को नंवबर महीने तक नवंबर तक ही होता है.

जानिए वित्त वर्ष (Financial Year) बदलने का क्या होगा नुकसान
वित्त वर्ष बदलने के नुकसान को लेकर सीएम विकास जैन कहते हैं कि शुरूआत में छोटे कारोबारियों को बैलेंस शीट और ऑडिट से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसका कारण है कि जब भी वित्त वर्ष जनवरी से शुरू होगा तो पिछले साल और उस साल वित्त वर्ष के बीच 9 महीनों को अंतर होगा. इसलिए कारोबारियों को 12 महीनें की जगह 9 महीनें में अपना पूरा साल का हिसाब तैयार करना होगा. जो प्लानिंग फरवरी में की जाती थी वो दिसंबर से पहले करनी होगी.

152 साल पुरानी है अप्रैल-मार्च वित्त वर्ष परंपरा
साल 1867 में अप्रैल-मार्च तक वित्त वर्ष की शुरूआत की गई. साल 2017 में वित्त मंत्रालय से संबंधित वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि इतने समय चली आ रही इस परंपरा को बदल दिया जाए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी वित्त वर्ष में बदलाव का समर्थन कर चुके हैं. पीएम मोदी पहले भी बीजेपी शासित राज्यों में वित्त वर्ष के बदलाव के लिए कह चुके हैं. मध्य प्रदेश में वित्त वर्ष बदलने की घोषणा तक भी की गई लेकिन निर्णय लागू नहीं हो सका.

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Aanchal Pandey

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