पीएम मोदी ने संविधान पर चर्चा के दौरान चुन चुनकर विपक्ष के आरोपों का जवाब दिया. आपातकाल का जिक्र कर कांग्रेस को घेरने के साथ साथ उसके सहयोगियों पर तंज कसा कि मजबूरी में उधर जाकर बैठे हैं. भूल गये कि उनके मुखिया को कैसे जेल में ठूंसा गया था. यह सुनकर सदन में मौजूद अखिलेश यादव, डिंपल यादव व अवधेश प्रसाद अपनी हंसी नहीं रोक पाये.
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान पर दो दिवसीय चर्चा में भाग लेते हुए विपक्ष के आरोपों का चुन चुनकर जवाब दिया. चर्चा के दौरान लोकसभा में उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके परिवार के लोग खिलखिलाकर हंस पड़े. ये ऐसा मुद्दा था जिस पर सपा हो या राजद कांग्रेस का साथ नहीं दे सकती थी. मतलब एकदम साफ कि उन्होंने जवाब देते हुए भी विपक्ष में दरार डाल दी. कांग्रेस इस तरह से फंसी कि इंडिया गठबंधन के सहयोगी भी बचाव के लिए आगे नहीं आए.
पीएम मोदी ने आरोपों का जवाब देते हुए आपातकाल की चर्चा छेड़ दी और कहा कि जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा को इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस नहीं बनने दिया. उन्होंने स्वर्गी श्रीमती गांधी के खिलाफ फैसला दिया था. पीएम मोदी ने इसके बाद सपा सांसदों की तरफ देखते हुए कहा कि यहां भी ऐसे कई दल बैठे हैं जिनके मुखिया जेल में ठूंसे गये थे. ये उनकी मजबूरी है कि वे आज वहां जाकर बैठ गये हैं. पीएम ने नाम किसी का नहीं लिया लेकिन इशारा सपा और राजद की तरफ था. अखिलेश यादव, धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव और अवधेश प्रसाद हंस पड़े. इमरजेंसी के दौरान नोर्दोष लोगों को जेल भेजा गया, निर्दयी सरकार ने संविधान को रौंदकर रख दिया.
आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने राजनारायण की याचिका पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया था. इस फैसले से श्रीमती गांधी बौखला गईं थी और आपातकाल लागू कर दिया था. विपक्ष के नेताओं को जेल में ठूंस दिया गया. राम मनोहर लोहिया के शिष्य मुलायम सिंह यादव हों या लालू यादव सभी जेल में डाल दिये गये. पीएम मोदी इशारों ही इशारों में यही बात कह रहे थे कि जो कांग्रेस आज संविधान की दुहाई दे रही है वह जब सत्ता में थी तब उसने क्या किया था. इतना जल्दी भूल गये!
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