Pamban Bridge: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 अप्रैल को राम नवमी के अवसर पर नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज है, जो रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है। इस आधुनिक ब्रिज को इंजीनियरिंग का चमत्कार माना जा रहा है, क्योंकि यह ट्रेन और जहाज दोनों के आवागमन की सुविधा देता है।
ब्रिज को समुद्री पर्यावरण से सुरक्षित रखने के लिए स्टेनलेस स्टील और पॉलीसिलोक्सेन पेंट का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसकी उम्र लगभग 58 साल मानी जा रही है। इसमें ऑटोमेटेड इलेक्ट्रो-मैकेनिकल लिफ्ट सिस्टम लगाया गया है। इससे ब्रिज को 17 मीटर तक ऊपर उठा सकता है। जिससे बड़े जहाज आसानी से गुजर सकें।
भारत का पहला पंबन ब्रिज 1911 में बनाया गया था और 1914 में इसे यातायात के लिए खोला गया। ब्रिटिश शासन के दौरान इसे व्यापारिक उद्देश्यों के लिए बनाया गया था, जो धनुषकोडी से श्रीलंका के तलाइमन्नार तक जहाजों के मार्ग को जोड़ता था। लेकिन 1964 में आए विनाशकारी चक्रवात में धनुषकोडी बर्बाद हो गया था।
23 दिसंबर 1964 की रात, एक भीषण सुनामी ने पंबन द्वीप को तहस-नहस कर दिया। उस समय 653 पंबन-धनुषकोडी यात्री ट्रेन ब्रिज पार कर रही थी, लेकिन विशाल लहरों की चपेट में आने से पूरी ट्रेन समुद्र में समा गई। इस हादसे में 100 से 250 यात्रियों की मौत हो गई थी। हालांकि, पुराना पुल सुनामी झेलने में सफल रहा, लेकिन इसके 146 में से 126 स्पैन और दो स्तंभ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे।
2019 में रखी गई नए पंबन ब्रिज की नींव अब एक शानदार संरचना में तब्दील हो चुकी है। 2.08 किलोमीटर लंबा यह पुल पुराने ब्रिज से 3 मीटर ऊंचा है और इसमें 99 स्पैन हैं। इसका मुख्य लिफ्ट स्पैन 72.5 मीटर लंबा है, जिसे 17 मीटर तक उठाया जा सकता है। इस ब्रिज को दोहरी रेलवे पटरियों के साथ तैयार किया गया है, जिससे वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों के संचालन की सुविधा भी मिलेगी। भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज के उद्घाटन के साथ, यह ऐतिहासिक संरचना इंजीनियरिंग की एक नई मिसाल कायम करने जा रही है। जो न सिर्फ आधुनिक रेलवे प्रणाली को गति देगी, बल्कि देश की तकनीकी उत्कृष्टता का भी प्रतीक बनेगी।
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