नई दिल्ली। कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को सशक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के माध्यम से फंड ट्रांसफर किया। इस योजना के तहत अनाथ बच्चों के बैंक खातों में पीएम केयर्स फंड से छात्रवृत्ति भेजी गई। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज मैं आपसे प्रधानमंत्री के तौर पर नहीं, बल्कि आपके परिवार के सदस्य के तौर पर बात कर रहा हूं। आज आप सभी बच्चों के बीच आकर मुझे बहुत राहत मिली है। जीवन कभी-कभी हमें अप्रत्याशित मोड़ पर ले जाता है। जिन स्थितियों की हमने कल्पना भी नहीं की होती है, हंसते-खेलते अचानक अँधेरा छा जाता है। कोरोना की वजह से अपनों को खोने वालों की जिंदगी में ये बदलाव कितना मुश्किल है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि जो चला जाता है, उसके सामने चुनौतियों का अंबार लग जाता है। ऐसी चुनौतियों में, ऐसे कोरोना प्रभावित बच्चों की आप सभी की कठिनाइयों को कम करने के लिए PM Cares for Children एक छोटा सा प्रयास है। पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन इस बात का प्रमाण है कि हर देशवासी अत्यंत संवेदनशीलता के साथ आपके साथ है। मुझे संतोष है कि बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए उनका नामांकन उनके घरों के पास के सरकारी या निजी स्कूलों में कराया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि किसी को व्यावसायिक पाठ्यक्रम के लिए शिक्षा ऋण की आवश्यकता है, उच्च शिक्षा के लिए, पीएम केयर्स उसमें भी मदद करेगा। अन्य दैनिक जरूरतों के लिए भी 4000 रुपये प्रतिमाह की अन्य योजनाओं के माध्यम से उनके लिए व्यवस्था की गई है। ऐसे बच्चे जब स्कूली शिक्षा पूरी कर लेंगे तो भविष्य के सपनों के लिए और पैसों की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए 18-23 साल के युवाओं को हर महीने वजीफा मिलेगा और जब आप 23 साल के हो जाएंगे तो एक साथ 10 लाख रुपये मिलेंगे।
सरकार ने पिछले साल 29 मई को इस योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत 11 मार्च, 2020 से 28 फरवरी, 2022 के बीच कोरोना महामारी के कारण अपने माता-पिता, कानूनी अभिभावक, दत्तक माता-पिता या माता-पिता में से किसी एक को खोने वाले बच्चों को मदद प्रदान किया जाता है।
इसके तहत प्रत्येक बच्चे को 20 हजार रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती है। इसके अलावा आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत बच्चों को पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन पासबुक और हेल्थ कार्ड भी मुहैया कराया जाएगा। इस योजना के तहत सरकार को 23 राज्यों के 611 जिलों से 9,042 आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 31 राज्यों के 557 जिलों में 4,345 आवेदन स्वीकृत किए गए।
इस योजना का उद्देश्य बच्चों को भोजन और आवास प्रदान करके उनकी देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ऐसे बच्चों को शिक्षा और छात्रवृत्ति के माध्यम से सशक्त बनाना और 23 वर्ष की आयु में 10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना स्वास्थ्य बीमा के माध्यम से ऐसे बच्चों के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखती है। इसके तहत उन्हें 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा।
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