नई दिल्लीः इजरायल पर ईरान के हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है। इसका असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। इस बीच पश्चिम एशिया में फिर से पैदा हुए तनाव के बीच पीएम मोदी ने गुरुवार (3 अक्टूबर) को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक बुलाई। इस बैठक में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल हुए। इस बैठक में पश्चिम एशिया में तनाव और पेट्रोलियम उत्पादों के व्यापार और आपूर्ति पर पड़ने वाले असर पर चर्चा की गई।
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव का असर भारत के आयात और निर्यात पर पड़ेगा। इस संघर्ष के कारण माल ढुलाई शुल्क में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि लेबनान के ईरान समर्थित हिजबुल्लाह उग्रवादियों के यमन में हूती विद्रोहियों के साथ गहरे संबंध हैं, जो लाल सागर और अदन की खाड़ी के रास्ते माल ले जाने वाले व्यापारिक जहाजों पर लगातार हमले कर रहे हैं।
हूती विद्रोहियों ने पिछले साल अक्टूबर में लाल सागर से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों पर हमला करना शुरू कर दिया था, जिससे पूरी दुनिया का व्यापार प्रभावित हुआ। भारत के पेट्रोलियम निर्यात में भी गिरावट आई। अगस्त में यह आयात 37.56 प्रतिशत घटकर 5.96 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले साल इसी महीने 9.54 अरब डॉलर था। 2023 के आंकड़ों के अनुसार स्वेज नहर के बाद भारत अपना 50 प्रतिशत निर्यात लाल सागर के रास्ते करता है। ऐसे में भारत के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
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