PM Modi Man Vs Wild With Bear Grylls: डिस्कवरी चैनल के शो मैन वर्सेज वाइल्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाइल्ड लाइफ एडवेंचरर और सर्वाइवर बीयर ग्रिल्स को बताया कि कैसे उन्होंने अपने शुरुआत के दिनों में ओस की बूंदों को इकट्ठा कर स्नान के लिए उपयोग में लाते थे.
नई दिल्ली: डिस्कवरी चैनल के शो मैन वर्सेज वाइल्ड के जरिए दुनियाभर के 180 देशों के लोगों ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वाइल्ड लाइफ एडवेंचरर और सर्वाइवर बीयर ग्रिल्स को उत्तराखंड के टाइगर रिजर्व जिम कॉर्बेट पार्क के घने जंगलों और नदियों को पार करते हुए देखा. इस दौरान बीयर ग्रिल्स ने पीएम मोदी से उनके बचपन से लेकर उनके रिटायरमेंट प्लांन्स तक सबपर बात की. आइए आपको बताते हैं कि पीएम मोदी ने अपने बारे में क्या क्या बताया.
‘हम लोग छोटे परिवार में रहे, छोटे से घर में रहे. गरीबी में जिंदगी गुजारी. मैं ये नहीं कह सकता कि मैं अच्छा छात्र था. प्रक्रृति से मिलकर रहा. सर्दियों में जमीन के ऊपर जो ओस की बूंद गिरती है. उस जमीन पर गिरी बूंद को मिट्टी समेत हम घर ले आते थे और उसी से नहाते ते और कपड़े धो लेते थे.’
‘मैं रेलवे प्लेटफॉर्म पर लोगों को चाय पिलाता था और स्कूल भी जाता था. मेरी जिंदगी बनाने में रेलवे का बड़ा रोल रहा है. जब मैं करीब 17 या 18 साल का था तो मैने घर छोड़ दिया. सोच रहा था कि क्या करूं क्या ना करूं. दुनिया को समझना चाहता था. इसलिए मैं हिमालय में गया. प्रक्रृति मुझे पसंद थी. वहां कई लोगों और तपस्वियों से मिला. आज भी वो ताकत महसूस करता हूं. मेरे संस्कार मुझे किसी को मारने की इजाजत नहीं देते लेकिन आपके लिए ये भाला अपने पास रखूंगा.’
‘पहले मैं एक राज्य का मुख्यमंत्री था और 13 साल तक मुख्यमंत्री रहा. फिर जनता ने तय किया कि मुझे पीएम बनना है तो पांच साल से जनता की सेवा कर रहा हूं. अगर मैं इसे छुट्टियां मानूं तो 18 साल में मैंने पहली बार छुट्टी ली है. मैने दूसरों के सपनों को अपना सपना माना है.’
‘मैं रोज तालाब में नहाता था. नहाने की कोई दूसरी व्यवस्था नहीं थी. एक बार तालाब में मरमच्छ का बच्चा मिला तो हम उसे घर ले गए. माता जी ने कहा ये पाप है, उसे वापस छोड़ आओ तो छोड़ आए. जब मैं छोटा था तो हमारी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन जब बारिश होती थी तो हमारे पिताजी 25-30 पोस्ट कार्ड लेकर आते थे और सबको लिखकर बताते थे कि हमारे यहां बारिश हुई है. आज मुझे समझ में आता कि वो ऐसा क्यों करते थे. मनुष्य के जीवन में प्रक्रृति के साथ ऐसा रिश्ता होना चाहिए.’
https://www.youtube.com/watch?v=Xy0RDp2lH2M
‘मेरे एक चाचा थे. वो सोच रहे थे कि जो चूल्हा जलाने की लड़की का व्यापार करेंगे. दुकान ले ली. हमारी दादी को बताया तो दादी बोली की भूखे मरेंगे लेकिन ये काम नहीं करेंगे. लकड़ी में जीव होता है. हमारे अंदर प्रकृति को लेकर वो भाव है. मैं हर चीज में अच्छाई देखता हूं इसलिए कभी निराशा नहीं होती है. कुछ नहीं हुआ तो उसमें भी कुछ अच्छा होगा ये भाव मेरे अंदर रहता है. मैं युवाओं को बोलता हूं कि जिदंगी को टुकड़ों में सोचें.’
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