PM Modi: जया किशोरी ने समझाया अध्यात्म का असली मतलब, पीएम मोदी ने किया है सम्मानित

नई दिल्लीः पीएम मोदी ने शुक्रवार यानी 8 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारत मंडपम में पहला राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार प्रदान किया। इस दौरान कथा वाचक जया किशोरी को सम्मानित किया गया। जया किशोरी मधुर आवाज और गीता के ज्ञान से अध्यातम की अलख जगा रही हैं। जिसके चलते उनको बेस्ट क्रिएटर फॉर सोशल चेंज […]

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PM Modi: जया किशोरी ने समझाया अध्यात्म का असली मतलब, पीएम मोदी ने किया है सम्मानित

Sachin Kumar

  • March 8, 2024 6:53 pm Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

नई दिल्लीः पीएम मोदी ने शुक्रवार यानी 8 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारत मंडपम में पहला राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार प्रदान किया। इस दौरान कथा वाचक जया किशोरी को सम्मानित किया गया। जया किशोरी मधुर आवाज और गीता के ज्ञान से अध्यातम की अलख जगा रही हैं। जिसके चलते उनको बेस्ट क्रिएटर फॉर सोशल चेंज का अवॉर्ड दिया गया। अवार्ड दिए जाने के दौरान पीएम मोदी के साथ उनका माजकिया अंदाज में किए गए बातचीत खूब वायरल हो रहा है।

क्या हुई बातचीत

दरअसल जब जया किशोरी भारत मंडपम में स्टेज पर गई तो पीएम मोदी ने उनसे कहा कि जया आपने अध्यातम की दुनिया में रुचि फैलाई है। अपने बारे में भी बताईए। इस पर जया किशोरी कहती है मैं कथाकार हूं और भागवात कथा करती हूं। क्योंकि मेरा बचपन इन्हीं चीजों से गुजरा है। उन्होंने कहा कि शांति, सुकून, खुशी, हर चीज इसी से आया है। जया ने कहा कि हमारी सोच है कि भगवान से जुड़ना है तो बुढ़ापे का काम है लेकिन मुझे लगता है कि ये गलत सोच है।

जया किशोरी ने आगे कहा कि युवाओं को अध्यातम से जोड़ने की जरुरत है। अगर मैं मटेरिलिस्टिक जीवन के साथ अध्यातमिक जीवन जी सकती हूं तो मुझे लगता है कि हर युवा जी सकता है। जया किशोरी की बातें सुनने के बाद पीएम मोदी कहते हैं कि लोगों को डर लगता है कि अध्यातम का मतलब झोला उठा कर चले जाना। तो आप उनका मार्गदर्शन करिए ना। वहीं पीएम की बात सुनकर जया किशोरी सहित सभी लोग ठहाके मारने लगते हैं।

वही पीएम को जवाब देते हुए जया किशोरी कहती है कि सर ऐसा बिलकुल नहीं है। क्योंकि सबसे बड़ा आध्यात्मिक ज्ञान श्रीमद भागवत है। वो एक व्यक्ति को सुनाई जा रही है जो आगे चलकर राजा बनने वाला है। उन्होंने कहा कि राजा से ज्यादा ऐश्वर्य किसी के पास नहीं होता। गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कभी नहीं कहा कि राज छोड़ दो। बस यही कहा कि अपना धर्म पूरा करो जहां भी हो।

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