नई दिल्ली: मणिपुर मामले को लेकर संसद के मानसून सत्र में हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर विपक्ष की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले पर संसद में बयान दें तो दूसरी ओर सत्ता पक्ष भी लगातार खुद को किसी भी मामले पर बहस करने के लिए तैयार बता […]
नई दिल्ली: मणिपुर मामले को लेकर संसद के मानसून सत्र में हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर विपक्ष की मांग है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले पर संसद में बयान दें तो दूसरी ओर सत्ता पक्ष भी लगातार खुद को किसी भी मामले पर बहस करने के लिए तैयार बता रहा है. लेकिन अब तक मणिपुर हिंसा मामले को लेकर संसद की कार्यवाही में हंगामे के अलावा कुछ और नहीं हुआ. इसी क्रम में विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं के बीच आरोपों प्रत्यारोपों का दौर जारी है.
#WATCH | LoP in Rajya Sabha, Mallikarjun Kharge says, "We are doing this press conference because the govt is not letting us speak in the Parliament. PM is discussing other issues but he is not replying to us. PM Modi is not willing to give a statement on the Manipur issue, he is… pic.twitter.com/06IZE6rZci
— ANI (@ANI) August 1, 2023
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी अब केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने आरोप लगाया है कि विपक्ष को संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा है. मंगलवार को मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, “हम यह प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सरकार हमें संसद में बोलने नहीं दे रही है। पीएम अन्य मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं लेकिन वह हमें जवाब नहीं दे रहे हैं। पीएम मोदी बयान देने को तैयार नहीं हैं।” मणिपुर मुद्दे पर वह संसद में नहीं बोल रहे हैं। वे भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि विपक्ष इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है, लेकिन हम इस मुद्दे पर चर्चा के लिए पिछले 11 दिनों से इंतजार कर रहे हैं।’
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़े बिल को आज लोकसभा में पेश कर दिया. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस बिल को पेश किया. अब इस बिल पर कल यानी बुधवार को चर्चा होगी. स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि चर्चा में अपनी बात रखने के लिए सबको पर्याप्त मौका दिया जाएगा. वहीं बिल पेश होने के बाद सदन में विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली. कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह बिल संविधान का उल्लंघन है. इससे उपराज्यपाल का अधिकार बढ़ेगा.