तीन तलाक जैसी सामाजिक बुराई के बाद अब बहुविवाह और हलाला के खिलाफ याचिका दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दिल्ली की एक महिला ने की है जिनकी मांग है कि बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिया जाए. उनका कहना है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 के प्रावधान सभी भारतीय नागरिकों पर बराबरी से लागू हों.
नई दिल्लीः ट्रिपल तलाक के बाद अब बहुविवाह और हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. यह तीसरी बार है कि इन दोनों चीजों के खिलाफ याचिका दायर की गई हो. दिल्ली में रहने वाली नफीसा खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिए जाने की मांग की.
याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए, क्योंकि यह बहु विवाह और निकाह हलाला को मान्यता देता है. उनकी मांग है कि भारतीय दंड संहिता, 1860 के प्रावधान सभी भारतीय नागरिकों पर बराबरी से लागू हों.
याचिका में यह भी कहा गया है कि ‘ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत एक क्रूरता है. वहीं काह-हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार है और बहुविवाह आईपीसी की धारा 494 के तहत एक अपराध है. बता दें कि तीसरी बार है जब बहुविवाह और हलाला जैसी सामाजिक बुराईयों के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की गई.
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