नई दिल्ली: प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की अक्सर कई खबरें आती हैं। अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जो बताती है कि कैसे प्लास्टिक भयानक बाढ़ का कारण बन सकता है। इसकी वजह से 2.2 करोड़ लोगों की जान जोखिम में है। यह संख्या ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की कुल […]
नई दिल्ली: प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की अक्सर कई खबरें आती हैं। अब एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जो बताती है कि कैसे प्लास्टिक भयानक बाढ़ का कारण बन सकता है। इसकी वजह से 2.2 करोड़ लोगों की जान जोखिम में है। यह संख्या ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी की कुल जनसंख्या के बराबर है। प्लास्टिक से जो बाढ़ आएगी, उसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों और कमजोरों को होगा। आइए आपको इस खबर के बारे में बताते हैं:
मालूम हो कि 2005 में मुंबई में विनाशकारी बाढ़ आई थी। इस बाढ़ से 1000 लोग मौत के मुंह में समा गए थे। इस बाढ़ के लिए प्लास्टिक का मलबा भी जिम्मेदार था। इससे जल निकासी व्यवस्था (ड्रेनेज सिस्टम) पर काफी बुरा असर पड़ा था। प्लास्टिक के कचरे ने मैनहोल को बंद कर दिया था। इस कारण मानसून की भारी बारिश के दौरान शहर से पानी नहीं निकल सका। अब नई रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि दुनिया के 218 मिलियन सबसे गरीब लोगों को प्लास्टिक कचरे के कारण बड़ी बाढ़ आने का खतरा है।
International Aid Agency Tearfund and Environmental Consultancy Resource Future (IAATECRF) ने यह रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2.2 करोड़ लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है, जिनमें 41 लाख बच्चे, बुजुर्ग और विकलांग हैं। यह खतरा इन लोगों के लिए गंभीर है क्योंकि ये लोग इससे निपट भी नहीं पा रहे हैं, ये लोग पहले से ही स्वास्थ्य और अन्य समस्याओं से बहुत घिरे हुए हैं।
इस रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि प्लास्टिक की वजह से बाढ़ ज्यादा खतरनाक रूप ले लेती है। क्योंकि ड्रेनेज सिस्टम में जाकर यह फंस जाता हैं। जिस तरह से प्लास्टिक का इस्तेमाल बढ़ रहा है उसने स्थिति को और भी खराब कर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक, 2000 से 2019 के बीच प्लास्टिक कचरा दोगुना हो गया। इसकी एक वजह Solid Waste Management का ठीक से नहीं होना भी है।