नई दिल्ली : सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल पर जोर दिए जाने के बावजूद स्थिति यह है कि पिछले साल दस राज्यों में एक किलोमीटर सड़क भी ऐसी नहीं बन सकी, जिसमें इसका प्रयोग किया गया हो. दो राज्यों में केवल 1-1 किलोमीटर सड़क ऐसी बनी जिसमें प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल हुआ है. […]
नई दिल्ली : सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल पर जोर दिए जाने के बावजूद स्थिति यह है कि पिछले साल दस राज्यों में एक किलोमीटर सड़क भी ऐसी नहीं बन सकी, जिसमें इसका प्रयोग किया गया हो. दो राज्यों में केवल 1-1 किलोमीटर सड़क ऐसी बनी जिसमें प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल हुआ है.
आपको बता दे यूपी में 344 किलोमीटर, कर्नाटक में 97 किमी. मध्य प्रदेश में 65 किमी. और छत्तीसगढ़ में 86 किलोमीटर सड़क बनी है. इन राज्यों में अगर इतना भी काम नहीं हुआ होता तो स्थिति और खराब हो जाती. हाल ही में सड़क परिवहन मंत्रालय ने नेशनल हाईवे से लगती सर्विस और स्लिप रोड के निर्माण में भी प्लास्टिक के कचरे का इस्तेमाल करने के लिए कहा है. लेकिन आंकड़े बता रहे है कि अभी भी राष्ट्रीय राजमार्मों के निर्माण प्लास्टिक के कचरे का उपयोग सही ढ़ग से नहीं हो पा रहा है.
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में रखे गए इस साल जनवरी तक के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 2022-23 में प्लास्टिक कचरे के इस्तेमाल से 678 किमी. सड़क का ही निर्माण किया जा सका. जबकि इसके एक साल पहले 714 किलोमीटर सड़क बनाई गई थी. 2020-21 में 10,000 किमी. से अधिक सड़क प्लास्टिक के कचरे से बनाई गई थी. प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए सड़क निर्माण में इसके प्रयोग को अहम माना गया है.
देश के दस राज्यों में अभी तक एक किलोमीटर की भी प्लास्टिक के कचरे से सड़क नहीं बनाई गई है. प्लास्टिक के कचरे से बनने वाली सड़क,तारकोल से बनने वाली सड़क से अधिक टिकाउ रहती है. इसके साथ ही तारकोल का भी उपयोग कम होता है, लगभग 15 प्रतिशत कम तारकोल लगता है. इस मामले में असम, गोवा, अरूणाचल, झारखंड, गुजरात, जम्मू, मणिपुर, अंडमान, उत्तराखंड और पंजाब का अभी तक खाता भी नहीं खुला है.
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