नई दिल्ली। अप्रैल का महीना खगोल विज्ञान से जुड़े लोगों के लिए काफी खास है। इसका मुख्य कारण है इस महीने होने वाली कई अन्य खगोलीय घटनाएं जिसके चलते अप्रैल को खगोल विज्ञान महीने के तौर पर भी जाना जाता है। बता दें, इस महीने जहां लोगों को 6 अप्रैल को पिंक मून देखने को […]
नई दिल्ली। अप्रैल का महीना खगोल विज्ञान से जुड़े लोगों के लिए काफी खास है। इसका मुख्य कारण है इस महीने होने वाली कई अन्य खगोलीय घटनाएं जिसके चलते अप्रैल को खगोल विज्ञान महीने के तौर पर भी जाना जाता है। बता दें, इस महीने जहां लोगों को 6 अप्रैल को पिंक मून देखने को मिलेगा वहीं 20 अप्रैल को सूर्यग्रहण के अलावा चंद्रग्रहण जैसी खगोलीय घटनाएं एक साथ देखने को मिलेगी आइए आपको बताते है अप्रैल में होने वाली कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं के बारे में –
6 अप्रैल के दिन भारतीय समय अनुसार सुबह 10 बजकर 7 मिनट के बीच पिंक मून देखने को मिलेगा। बता दें, पिंक मून को मुख्यता सुपर मून कहा जाता है यह एक खगोलीय घटना है जिस दौरान चांद पृथ्वी के सबसे करीब होता है जिसके चलते चांद का आकार काफी बड़ा और चमकीला दिखाई देता है। इसे सुपरमून कहते हैं। आमतौर पर चंद्रमा की पृथ्वी से औसतन दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है।
परंतु सुपरमून के दिन यह दूरी काफी कम हो जाती है। 2020 में यह मात्र 3 लाख 56 हजार 907 किलोमीटर की थी। इस घटना का पिंक मून नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसी दिन अमरीका में हर्व मॉस नाम का एक पिंक रंग का गुलाब फूल खिलता है। जिससे पूरी घाटी पिंक दिखाई देती है। हालांकि जिस समय सुपर मून देखने को मिलेगा उस दौरान भारत में सुबह होगी जिस कारण भारतीय लोग इस खगोलीय घटना को नहीं देख पाएंगे।
इसके अलावा 11 अप्रैल को भी एक अन्य खगोलीय घटना देखने को मिलेगी जिसमें बुध, शुक्र, मंगल और अरुण ग्रह एक कतार में देखने को मिलेंगे। 11 अप्रैल को सूर्यास्त के बाद यह पश्चिमी क्षितिज के ऊपर दिखाई देंगे। बता दें, इससे पहले 28 मार्च रात को आसमान में 5 ग्रहों गुरु, बुध, शुक्र, मंगल और यूरेनस ग्रह को एक कतार में देखा गया था।
इसके अलावा 20 अप्रैल को भी साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। वैज्ञानिको के अनुसार अप्रैल माह का सूर्यग्रहण कुछ अलग होने वाला है। इस ग्रहण की खास बात यह है कि ग्रहण के दौरान सूर्य अपने सबसे विचित्र स्वरूप में देखा जा सकेगा। यानी एक ही दिन में 3 तरह के सूर्य ग्रहण लगेंगे – आंशिक, पूर्ण और कुंडलाकार सूर्य ग्रहण। वैज्ञानिकों द्वारा इसे हाइब्रिड सूर्यग्रहण का नाम दिया है। हाईब्रिड एक खगोलीय घटना होती है जिसमें सूर्य तीन तरह से आकार लेता है इसमें पहले सूर्य कुंडला आकार का होता है, फिर पूर्ण सूर्यग्रहण होता है, इसके बाद यह प्रक्रिया बदल जाती है। इस दौरान सूर्य में रिंग ऑफ फायर यानी आग के छल्ले की तरह आकृति भी बन जाती है। हालांकि यह सूर्यग्रहण भारत के लोगों को नहीं दिखाई देगा।
20 अप्रैल को सूर्यग्रहण लगने के बाद चंद्रमा पृथ्वी के पीछे आ जाएगा जिस कारण साल का पहला चंद्रग्रहण लगेगा। भारतीय समयानुसार यह घटना सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर देखने को मिलेगी। जिस कारण भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाएंगे।
23 अप्रैल के दिन एक अनोखी खगोलीय घटना देखने को मिलेगी। बता दें, इस दिन लिरिड उल्का बौछार देखने को मिलेगी। उल्का बौछार या फिर उल्का बारिश तब होती है, जब पृथ्वी, धूमकेतु या फिर क्षुद्रग्रह से छोड़े गए मलबे वायुमंडल पर तैरते हुए सतह पर गिरते हैं। इनमें से कई उल्का पिंडों का आकार काफी ज्यादा बड़ा होता है।