पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मिनिस्टर धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए डॉलर पर ठीकरा फोड़ा है. प्रधान ने कहा कि डॉलर जिस तरह की स्थितियां पैदा कर रहा है, वह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है.
नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी कैबिनेट में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शनिवार को कहा कि रुपये की तेल की कीमतों में उछाल और डॉलर के सामने लगातार गिरते रुपये के पीछे अंतरराष्ट्रीय कारणों का हाथ है. उन्होंने कहा, ”वर्तमान में भारतीय मुद्रा बाकी देशों की करंसी के मुकाबले सबसे मजबूत है. लेकिन हम तेल कैसे खरीदते हैं? डॉलर के जरिए. मगर आज डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी एक्सचेंज करंसी है. यही हमारे लिए परेशानी खड़ी कर रहा है”. उन्होंने आगे कहा, ”वित्त मंत्रालय ने पहले ही इस मामले पर सफाई दे दी है. दो बाहरी फैक्टर्स के कारण इस वक्त मार्केट में स्थिति बेहद खराब है. अमेरिकी डॉलर बेहद अलग और अपरिहार्य स्थितियां पैदा कर रहा है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है”.
प्रधान ने कहा कि ईरान, वेनेजुएला और तुर्की के मुद्दे ईंधन के उत्पादन में बाधा डाल रहे हैं और ये सब “भारत के हाथों में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम निर्यात करने वाले देशों (ओपेक) के संगठन ने समस्याएं और बढ़ा दी हैं.उसने दावा किया था कि जुलाई से अतिरिक्त उत्पादन होगा, लेकिन लक्ष्य अब तक हासिल नहीं हो पाया है.
प्रधान ने शुक्रवार को कहा पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने की बात कही थी. उन्होंने कहा कि ईरान, वेनेजुएला और तुर्की तेल उत्पादन करने वाले तीन अहम देश हैं. उन्होंने कहा है कि वे तेल का ज्यादा उत्पादन करेंगे, लेकिन अब तक एेसा हो नहीं पाया है. दिल्ली में पेट्रोल की कीमतें 80 रुपये प्रति लीटर हो जाने के पर प्रधान ने सफाई देते हुए कहा कि रुपये की गिरावट के कारण आयात महंगा हो गया है.
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