नई दिल्ली: हिंदुओं में अगर किसी महिला को मासिक धर्म हो जाए तो उसका जीवन रुक जाता है, वह कोई भी शुभ काम नहीं कर सकती, मंदिर तो दूर की बात है. असम में एक ऐसा मंदिर है जहां महिलाएं मासिक धर्म के दौरान मंदिर के अंदर जाती हैं. इस मंदिर का नाम कामाख्या शक्तिपीठ है. यह वह मंदिर है जहां पीरियड्स के दौरान देवी की पूजा की जाती है.
माता कामाख्या देवी मंदिर पूरे भारत में प्रसिद्ध है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान भोलेनाथ का माता सती के प्रति मोह तोड़ने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के मृत शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में काट दिया था. जहां-जहां ये शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों का जन्म हुआ. मंदिर की खास बात यह है कि यहां देवी मां की न तो कोई मूर्ति है और न ही कोई तस्वीर. बल्कि यहां एक तालाब है, जो हमेशा फूलों से ढका रहता है. इस प्रसिद्ध मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है. आज भी माता यहीं रजस्वला होती हैं. मंदिर से जुड़ी ऐसी और भी रहस्यमयी बातें हैं. काली और त्रिपुर सुंदरी देवी के बाद कामाख्या माता तांत्रिकों की सबसे महत्वपूर्ण देवी हैं. कामाख्या देवी मुक्ति प्रदान करती हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं.
कामाख्या देवी का मंदिर 22 जून से 25 जून तक बंद रहता है. ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में माता सती रजस्वला होती हैं. इन 3 दिनों में पुरुष भी मंदिर के अंदर नहीं जाते हैं. कहा जाता है कि इन 3 दिनों में देवी मां के दरबार में एक सफेद कपड़ा बिछाया जाता है, जो 3 दिन में लाल हो जाता है. इस कपड़े को अम्बुवाची कपड़ा कहा जाता है. इसे भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है.
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