नई दिल्ली: एटा जिले में 29 किमी लंबी एटा-कासगंज रेलवे लाइन के निर्माण का दोनों जिलों के लोग दशकों से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन 2017-2018 के बजट में इसकी मंजूरी के बाद भी ये उम्मीद बनी हुई है कि 2024 के इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. दरअसल एटा रेलवे स्टेशन 1949 […]
नई दिल्ली: एटा जिले में 29 किमी लंबी एटा-कासगंज रेलवे लाइन के निर्माण का दोनों जिलों के लोग दशकों से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन 2017-2018 के बजट में इसकी मंजूरी के बाद भी ये उम्मीद बनी हुई है कि 2024 के इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं. दरअसल एटा रेलवे स्टेशन 1949 में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा किया गया था. बता दें कि तत्कालीन केंद्रीय विदेश मंत्री रोहन लाल चतुर्वेदी के प्रयासों से टूंडला से एटा तक रेलवे लाइन बिछाई गई है, लेकिन अभी तक यहां से कुछ भी आगे नहीं बढ़ सकी है. परिणामस्वरूप इटा क्षेत्र विकास और परिवहन के मामले में बहुत पीछे है, और विभिन्न सामाजिक समूहों ने एटा रेलवे के विस्तार के लिए कई अभियान भी चलाए, लेकिन ये असफल ही रही है.
बता दें कि हर बार चुनावी साल में रेल विस्तार का जिक्र होता है, लेकिन परिणाम कुछ भी नहीं मिल पाता है. दरअसल केंद्र सरकार ने इसे 2017-18 के आम बजट में स्वीकृति दे दी थी, और इस कार्य के लिए 276.90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. साथ ही रेल मंत्रालय को ये बजट जारी नहीं किया गया, तो जिसके चलते परियोजना पर काम शुरू नहीं हो सका है.
1. प्रवक्ता डाॅ. अरुण राजौरिया ने बताया कि यातायात सुगमता और लोगों की सुविधा के मद्देनजर जिले में रेल विस्तार बहुत ही जरूरी है. दरअसल एटा से कासगंज को रेल द्वारा जोड़ने के कार्य को वरीयता मिलनी चाहिए.
2. एडवोकेट अमित जौहरी ने बताया कि सालों से रेल विस्तार की मांग आमजन और तमाम संगठनों द्वारा की जा रही है, और एटा-कासगंज रेल लाइन को मंजूरी मिलने के बाद भी काम ना होना बहुत अफसोसजनक है.
3. व्यापारी अमित चौहान का कहना है कि रेल विस्तार जिले का मुख्य मुद्दा रहा, लेकिन किसी भी सरकार में इसे तवज्जो नहीं मिल पाई है. इस चुनावी साल वाले बजट से धनराशि जारी होने की थोड़ी बहुत उम्मीदें हैं.
4. समाजसेवी मेधाव्रत शास्त्री ने बताया कि रेल विस्तार होने से लोगों के लिए यातायात सुलभ होगा. इसके साथ विकास की संभावनाएं बढ़ेंगी, और रेल यातायात की कमी की कारण से एटा काफी पिछड़ा हुआ है.