‘जेल के नाम पर पड़ जाते हैं बीमार’, सीएम केजरीवाल पर BJP ने बोला हमला

नई दिल्ली। Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में अदालत में याचिका दाखिल कर अंतरिम बेल को 7 दिन बढ़ाने की मांग की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीएम केजरीवाल को […]

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‘जेल के नाम पर पड़ जाते हैं बीमार’, सीएम केजरीवाल पर BJP ने बोला हमला

Arpit Shukla

  • May 27, 2024 1:14 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

नई दिल्ली। Delhi Liquor Policy Case: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। केजरीवाल ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में अदालत में याचिका दाखिल कर अंतरिम बेल को 7 दिन बढ़ाने की मांग की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीएम केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए 1 जून तक सशर्त अंतरिम जमानत दी है और उनको 2 जून को सरेंडर करना है। अब इस याचिका पर बीजेपी ने भी प्रतिक्रिया दी है।

क्या कहा BJP ने?

भाजपा के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वो पूरे दिन चुनाव प्रचार करते हैं, लेकिन जेल जाने के नाम पर उनकी तबियत खराब हो जाती है। बीजेपी नेता ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल की अंतरिम जमानत बढ़ाने की याचिका से ये स्पष्ट हो गया है कि केंद्र में इंडी गठबंधन की सरकार नहीं बनने वाली है, जैसा दावा वह जेल से बाहर आने के बाद लगातार कर रहे हैं।

क्या है दलील?

सीएम केजरीवाल ने अपनी याचिका में दावा किया है कि गिरफ्तारी के बाद उनका वजन 7 किलो घट गया है। इतना ही नहीं उनका कीटोन लेवल भी बढ़ा है और ऐसे में ये लक्षण किसी गंभीर के हो सकते हैं। उन्होंने याचिका में कहा कि मैक्स के डॉक्टरों ने जांच की है। याचिका में कहा गया कि अभी PET-CT स्कैन और कई टेस्ट करवाने की जरूरत है। ऐसे में इन जांचों को कराने के लिए अरविंद केजरीवाल ने 7 दिन की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त पर दी है जमानत

बता दें AAP सुप्रीमो को यह जमानत लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए मिली है. जब इस मामले की पिछली सुनवाई हुई थी उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोकसभा चुनाव 5 साल में आते हैं और ये असाधारण परिस्थिति है. अदालत ने शुक्रवार को शर्तों के आधार पर अरविंद केजरीवाल को जमानत दी. कोर्ट ने कहा कि हमारी शर्त है कि वे (केजरीवाल) सरकार के काम में बिल्कुल भी दखलंदाजी नहीं करेंगे. न ही कोई आधिकारिक कार्य करेंगे. अगर ऐसा हुआ तो फिर ये हितों का टकराव होगा.

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