नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की जांच कर रही समिति को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। दरअसल, कमेटी की ओर से कोर्ट को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी गई थी। आज सुनवाई के दौरान समिति ने शीर्ष अदालत से समय मांगा, जिसके बाद सीजेआई ने समिति को […]
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की जांच कर रही समिति को अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। दरअसल, कमेटी की ओर से कोर्ट को अंतरिम रिपोर्ट सौंपी गई थी। आज सुनवाई के दौरान समिति ने शीर्ष अदालत से समय मांगा, जिसके बाद सीजेआई ने समिति को चार सप्ताह का समय दिया है।
सीजेआई ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, हमें तकनीकी समिति की अंतरिम रिपोर्ट मिली है। बताया गया है कि 29 मोबाइल की जांच की जा चुकी है। कई लोगों से बात की। मई के अंत तक रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। हम समय दे रहे हैं, मामले की निगरानी कर रहे पूर्व जज को 4 हफ्ते में रिपोर्ट सौंपनी है। अब मामले की सुनवाई जुलाई में होगी। कोर्ट का कहना है कि सुपरवाइजिंग जज टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन कर जून के अंत तक कोर्ट को अपनी राय देंगे।
समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट अंतरिम थी। इस रिपोर्ट में कुछ अन्य बिंदुओं का विश्लेषण किया जाना बाकी है। दरअसल, समिति ने 18 अप्रैल को सभी राज्यों के पुलिस प्रमुखों को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या उन्होंने इस्राइल से पेगासस स्पाइवेयर खरीदा है।
इस्राइली सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत में करीब 1400 लोगों की जासूसी करने का आरोप है। दावा किया गया था कि 2019 में सरकार द्वारा मोबाइल फोन या सिस्टम और लैपटॉप के जरिए 1400 लोगों की जासूसी की गई थी। इसमें 40 बड़े पत्रकार, विपक्षी नेता, केंद्रीय मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई अधिकारी, उद्योगपति शामिल हैं।
कुछ मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से पेगासस जासूसी कांड का खुलासा किया गया था। रिपोर्टों में उल्लेख किया गया था कि पेगासस स्पाइवेयर भी 2017 में खरीदा गया था जब भारत सरकार ने इजरायल के साथ दो अरब डॉलर के मिसाइल सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की गई थी। हालांकि सरकार ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया था।
पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में बारह याचिकाएं दायर की गईं। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने मामले में 12 जनहित याचिकाओं को सूचीबद्ध किया। इनमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार द्वारा दायर जनहित याचिकाएं शामिल हैं।
दरअसल, इस सॉफ्टवेयर को इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप ने बनाया है। इसे किसी भी लक्षित व्यक्ति के फोन, लैपटॉप या कंप्यूटर में बिना बताए इंस्टाल किया जा सकता है। इनस्टॉल होने के बाद ये स्पाईवेयर उस शख्स पर पूरी नजर रखने लगता है।
यह सॉफ़्टवेयर डिवाइस के सभी व्यक्तिगत डेटा को चुरा लेता है और इसे तीसरे पक्ष को वितरित करता है। इस स्पाइवेयर को आतंकियों और अपराधियों पर नजर रखने के मकसद से बनाया गया था।
जानकारों के मुताबिक, व्हाट्सएप से मिस्ड कॉल के जरिए फोन में पेगासस स्पाइवेयर बहुत आसानी से इंस्टॉल हो जाता है। जबकि iPhone में इसे iMessage के जरिए इंस्टॉल किया जाता है। इतना ही नहीं यह स्पाइवेयर इतना खतरनाक है कि जीरो क्लिक मेथड से इंस्टाल हो जाता है। मतलब यह बिना किसी लिंक पर क्लिक किए डिवाइस में आ जाता है। संदेश हटा दिए जाने पर भी इसे टाला नहीं जा सकता।
इस स्पाइवेयर से आपके फोन में मौजूद सारी जानकारी किसी तीसरे व्यक्ति के पास चली जाती है। इतना ही नहीं, यह आपके डिवाइस के माइक और कैमरे को अपने आप चालू कर सकता है।
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