नई दिल्ली: कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की दिल्ली एयरपोर्ट से गिरफ्तारी के बाद मामवा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. उन्हें विमान से उतार कर पुलिस हिरासत में लिया गया. हालांकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देने का आदेश दिया है. इस गिरफ्तारी के बाद देश भर में खूब सियासी बवाल हो रहा है. बता दें, पवन खेड़ा की ये गिरफ्तार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिवंगत पिता पर उनकी एक विवादित टिप्पणी को लेकर की गई थी. उन्होंने 20 फरवरी को अडानी मामले में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये विवादित बयान दिया था. आइए जानते हैं पूरा मामला.
एक दिन पहले ही यानी बुधवार (22 फरवरी) को पवन खेड़ा के खिलाफ असम के दीमा हसाओ में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने और राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर मामला दर्ज किया गया. जानकारी के अनुसार कांग्रेस प्रवक्ता के खिलाफ असम के 15 जिलों में 15 केस दर्ज किए गए हैं. जब उनकी गिरफ्तार की गई तो उस दौरान फ्लाइट में कई अन्य नेता भी मौजूद थे.
20 फरवरी को उन्होंने अडानी मामले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इस दौरान खेड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिवंगत पिता के बारे में एक विवादित बयान दिया था. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए सवाल किया था कि अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी बना सकते हैं तो नरेंद्र गौतमदास मोदी क्यों नहीं कर सकते. उन्होंने इस दौरान पीएम के पिता पर एक टिप्पणी करते हुए उनका नाम गलत ले लिया था. हालांकि बाद में उन्होंने आस-पास लोगों से पूछा भी कि दामोदरदास नाम है या गौतमदास। लेकिन आगे खेड़ा कहते हैं कि ‘ नाम भले दामोदरदास है, लेकिन उनका काम गौतमदास है.’ बाद में उन्होंने इस आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर सफाई भी दी थी और कहा था कि उस समय वह कन्फ्यूजन में थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब पवन खेड़ा को जमानत मिल गई है लेकिन देश भर में विपक्ष के पास एक बार फिर भाजपा पर निशाना साधने का मुद्दा मिल गया है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा के खिलाफ हुई तीनों FIR को एक जगह पर क्लब करने का आदेश दिया है. हालांकि अब तक यह तय नहीं है कि एक साथ इस मामले पर किस कोर्ट में सुनवाई की जाएगी. बता दें, कांग्रेस ने कोर्ट से पवन खेड़ा के खिलाफ की गई FIR को रद्द करने की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को मानने से इनकार कर दिया है. बता दें, कांग्रेस प्रवक्ता पर जो आरोप लगाए गए हैं उससे उन्हें तीन से पांच साल की सजा भी हो सकती है.
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