गांधीनगर। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में इस समय सभी राजनीतिक दलों ने पाटीदारों पर दांव लगाया है। पिछले चुनावों में पाटीदारों के विरोध के कारण भाजपा को हुए नुकसान और कांग्रेस की बढ़त को देखते हुए इस समय सभी पार्टियों का रुझान पाटीदार समुदाय पर है। क्या दांव खेला राजनीतिक दलों ने? आगामी गुजरात विधानसभा […]
गांधीनगर। आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों में इस समय सभी राजनीतिक दलों ने पाटीदारों पर दांव लगाया है। पिछले चुनावों में पाटीदारों के विरोध के कारण भाजपा को हुए नुकसान और कांग्रेस की बढ़त को देखते हुए इस समय सभी पार्टियों का रुझान पाटीदार समुदाय पर है।
आगामी गुजरात विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र भाजपा, कांग्रेस एवं आम आदमी पार्टी राज्य की कुल 182 विधानसभा सीटों में पाटीदारों पर बड़ा दांव लगाया है. सत्ताधारी दल भाजपा ने 45 पाटीदारों को उम्मीदवार के रूप में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने 42 एवं आम आदमी पार्टी ने 46 पाटीदारों को उम्मीदवार बनाया है। इससे यह तो साफ हो जाता है कि, गुजरात चुनावों में पाटीदारों की भूमिका एवं किसी भी दल के जीत जाने के बाद कम नही होगी बल्कि पाटीदारों को इतनी भारी मात्रा में उम्मीदवार बनाना पाटीदारों के लिए शुभसंकेत हैं।
भले ही गुजरात में 2002 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर ही गुजरात चुनाव जीते जाते हैं इतना ही नहीं देश भर के किसी भी राज्य मे होने वाले चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी का ही फैक्टर चलता है, इसके बावजूद गुजरात में भाजपा, कांग्रेस या फिर आम आदमी पार्टी किसी भी शक्तिशाली एवं प्रभावशाली पाटीदार की उपेक्षा करता नज़र नहीं आएगा फिर चाहे वह किसी भी दल के समर्थन में क्यों न खड़ा हो।
गुजरात में पटेल यटा पाटीदार राज्य की आबादी के लगभग 12-14 प्रतिशत हैं फिर भी उन्हे गुजरात मे सबसे महत्वपूर्ण वोट बैंक माना जाता है। पाटीदार समुह राज्य में सबसे बड़ा जमींदारों का समुदाय है साथ ही इसमें कई उपजातियां शामिल हैं इनमें से सबसे अधिक लेउवा और कडवा पटेल शामिल हैं। स्वामीनारायण संप्रदाय के बीच भी पाटीदार की उपस्थिती बड़ी संख्या में है। स्वामीनारायण संप्रदाय बेहद शक्तिशाली धार्मिक संगठन है। साथ ही बड़ी संख्या मे एनआरआ पाटीदार भी है इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सभी पार्टियां इन्हें लुभाने का कार्य कर रही हैं।