नई दिल्लीः भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में पतंजलि आयुर्वेद ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांग ली है। अवमानना नोटिस का जवाब नहीं देने पर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को 2 अप्रैल को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया गया था। एक संक्षिप्त हलफनामे में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि उन्हें कंपनी के अपमानजनक वाक्यों वाले विज्ञापन पर दुख है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिसों का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की थी। उन्हें नोटिस जारी कर पूछा गया था कि अदालत को दिए गए वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों न की जाए। बता दें कि उच्चतम न्यायालय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें रामदेव पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ भ्रामक बातें करने का आरोप है।
कोर्ट ने कहा कि उसे रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी करना उपयुक्त लगता है क्योंकि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन 21 नवंबर 2023 को अदालत में दिए गए हलफनामे का विषय हैं। साथ ही अदालत ने निर्देश दिया था कि रामदेव और बालकृष्ण अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश हों। न्यायालय ने कहा था कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए, सुनवाई की अगली तारीख पर प्रतिवादी संख्या 5 के प्रबंध निदेशक की उपस्थिति का निर्देश देना सही समझा जाता है। शुरुआत में पीठ ने पूछा था कि पतंजलि और बालकृष्ण ने अवमानना कार्यवाही में जारी नोटिस पर अपना जवाब क्यों दाखिल नहीं किया है।
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