नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद को फटकार लगाई। यह फटकार आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने पर जारी की गई है। बता दें कि भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी। इसी पर अगले दिन यानी […]
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद को फटकार लगाई। यह फटकार आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने पर जारी की गई है। बता दें कि भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने याचिका दायर की थी। इसी पर अगले दिन यानी बुधवार (22 नवंबर) को स्वामी रामदेव ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि पतंजलि के खिलाफ साजिश की जा रही है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर वे कहीं भी गलत पाए जाते हैं, तो किसी भी तरह की सजा के लिए तैयार हैं।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद को झूठे और भ्रामक दावों वाले सभी विज्ञापनों पर तुरंत रोक लगानी होगी। अदालत ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगी और किसी उत्पाद के प्रत्येक झूठे दावे के लिए 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगा सकती है।
इसके बाद कोर्ट ने निर्देश दिया कि पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई भी विज्ञापन प्रकाशित नहीं करेगा और यह भी सुनिश्चित करेगा कि प्रेस में इस तरह के आकस्मिक बयान न दिए जाएं। पीठ ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को ‘एलोपैथी बनाम आयुर्वेद’ की बहस में नहीं बदलना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है। बता दें कि इस मामले पर अगली सुनवाई अगले साल 5 फरवरी 2024 को होगी।
स्वामी रामदेव ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि कल से मीडिया के हजारों साइट्स पर एक खबर को वायरल किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि (Patanjali) को फटकार लगाई कि झूठा प्रोपेगेंडा करोगे तो करोड़ो रुपये का जुर्माना लगेगा। हम सुप्रीम कोर्ट और देश के कानून का आदर करते हैं, लेकिन झूठा प्रचार हम नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि यदि हम झूठे हैं तो हमारे ऊपर सैकड़ों नहीं हजारों करोड़ का जुर्माना लगाएं. हमें डेथ पेनल्टी भी स्वीकार है लेकिन यदि हम झूठ नहीं बोल रहे हैं, तो जो प्रोपेगेंडा कर रहे हैं, उनके ऊपर जुर्माना लगाओ। पिछले 5 वर्षों से पतंजलि के खिलाफ बहुत खतरनाक प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा है।
पिछले साल भी सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ बयान देने पर बाबा रामदेव को फटकार लगाई थी। भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने तब कहा था कि बाबा रामदेव अपनी चिकित्सा प्रणाली को लोकप्रिय बना सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य प्रणालियों की आलोचना नहीं करनी चाहिए। हम सब उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने जन- जन तक योग को पहुंचाया है।
कोविड के समय भी पतंजलि (Patanjali) विवादों में घिर गई थी जब बाबा रामदेव ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वासारि से कोरोना का इलाज हो सकता है। इस दावे के बाद आयुष मंत्रालय की ओर से कंपनी को फटकार लगाई गई और इसका प्रमोशन तुरंत रोकने को कहा गया।
साल 2017 में आरटीआई द्वारा हरिद्वार की एक लैब में किए गए क्वालिटी टेस्ट में पतंजलि के 40 प्रतिशत प्रोडक्ट फेल हो गए थे। आरटीआई के अनुसार, साल 2013 से 2016 के बीच 82 सैंपल लिए गए थे। इसमें से 32 उत्पाद की क्वालिटी मानकों पर खरे नहीं उतरे। इन प्रोडक्ट्स में पतंजलि आंवला जूस और शिवलिंगी बीज भी शामिल थे।
इस नतीजे के सामने आने के ठीक एक महीने पहले सेना की कैंटीन ने भी पतंजलि के आंवला जूस पर बैन लगा दिया था क्योंकि यह पश्चिम बंगाल की पब्लिक हेल्थ लैब की जांच में फेल हो गया था। इस जांच में पाया गया था कि पतंजलि के आंवला जूस की पीएच वैल्यू तय मानकों ने नीचे है।
पतंजलि (Patanjali) ने साल 2015 में इंस्टेंट आटा नूडल्स लॉन्च करने से पहले फूड सेफ्टी एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) से लाइसेंस नहीं लिया था। इसके बाद पतंजलि को खाद्य सुरक्षा नियम तोड़ने पर कानूनी नोटिस का सामना करना पड़ा था।
वहीं, 2018 में भी FSSAI ने औषधीय उत्पाद गिलोय घनवटी पर एक महीने आगे की मैन्युफैक्चरिंग डेट लिखने पर पतंजलि को फटकार लगाई थी। इसके अलावा रामदेव योग और पतंजलि के उत्पादों से कैंसर, एड्स और समलैंगिकता का इलाज करने के दावों को लेकर भी कई बार विवादों में रह चुके हैं।