पतंजलि के बिस्कुट की क्वालिटी को लेकर रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज, गिरफ्तारी से बचने के लिए पहुंचे हाईकोर्ट

योग गुरु स्वामी रामदेव और पतंजलि प्रोडक्टस को लेकर राजस्थान में दर्ज एक एफआईआर के बाद बाबा बचाव में आ गए हैं. इसको लेकर स्वामी रामदेव ने हाईकोर्ट की शरण ली है. बाबा रामदेव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. बाबा रामदेव, एफआईआर, हाईकोर्ट

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पतंजलि के बिस्कुट की क्वालिटी को लेकर रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज, गिरफ्तारी से बचने के लिए पहुंचे हाईकोर्ट

Aanchal Pandey

  • February 4, 2018 4:09 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

जयपुर. राजस्थान में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के बिस्कुट की क्वालिटी को लेकर रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. वहीं बाबा रामदेव ने गिरफ़्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई है. पंतजलि की ओर से दाखिल की गई याचिका में एफआईआर रद्द कराने का अनुरोध किया गया है. हाईकोर्ट ने आज पूरे मामले में सुनवाई करते हुए शिकायतकर्ता और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश दीपक माहेश्वरी की एकलपीठ ने यह आदेश रामकिशन यादव उर्फ बाबा रामदेव व आचार्य बालकिशन सहित आस्था चैनल पर दायर आपराधिक याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर निवासी एसके. सिंह और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि जालुपुरा थाने में बाबा रामदेव सहित अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को क्यों न रद्द कर दें. इसके साथ ही अदालत ने जवाब पेश करने के लिए 20 मार्च का समय दिया है. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश दीपक माहेश्वरी ने यह आदेश दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एसके सिंह नामक शख्स ने पंतजलि प्रोडक्ट से जुड़े बिस्किुट में मैदा होने का आरोप लगाया है. एसके सिंह का आरोप है कि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के बिस्कुट को मैदा फ्री होना बताया जाता है, मगर जब उन्होंने इसकी जांच लैब में कराई तो इसमें अन्य अवयव भी मिले हैं.

एसके. सिंह ने गत दिनों जालुपुरा थाने में इस्तगासे से रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि पतंजलि के एक बिस्कुट को सौ फीसदी आटा होने और मैदा का इस्तेमाल नहीं करने का दावा करते हुए बेचा जा रहा है. इसका विज्ञापन आस्था चैनल पर दिखाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है. शिकायतकर्ता का कहना है कि उसने जयपुर के एक लैब में इस बिस्कुल की जांच करवाई, जिसमें यह बात सामने आई है कि इसमें मैदा मिला हुआ है.

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