नई दिल्लीः आज से संसद के मॉनसून सत्र की शुरूआत है. मोदी सरकार इस सत्र के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही है. विपक्ष भी हमलावर होने की रणनीति तैयार कर चुका है. मोदी सरकार अपने कार्यकाल के आखिरी बचे दो सत्रों में अधिकांश बिलों को पास कराने की कवायद में जुटी है. मॉनसून सत्र के बाद शीतकालीन सत्र है और फिर अगले साल अंतरिम बजट पेश करने के बाद मई में सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है. ऐसे में मॉनसून सत्र में इन अहम बिलों को मोदी सरकार हर हाल
में पास कराना चाहेगी.
मॉनसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा. संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि सरकार ने मॉनसून सत्र के लिए 15 महत्वपूर्ण बिलों को सूचीबद्ध किया है. इसके अलावा इसी सत्र में कई अध्यादेशों के संदर्भ में भी सरकार को बिल पेश करना है. मेघवाल ने कहा कि सभी विधेयक लोकहित में हैं और इन्हें पारित कराने के लिए सरकार विपक्षी दलों से सहयोग की अपील करती है. मॉनसून सत्र में तीन तलाक बिल सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है. दरअसल यह विधेयक लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में लंबित है.
मोदी सरकार का जोर अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग (ओबीसी) को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक को पारित कराने पर भी है. सरकार के एजेंडे में महिला आरक्षण बिल, मेडिकल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग बिल और ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़ा बिल भी है. इस सत्र में आपराधिक कानून संशोधन विधेयक 2018 भी पेश किए जाने के लिए सूचीबद्ध है. इसमें 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से रेप के दोषियों के लिए फांसी की सजा तक का प्रावधान किया गया है. नीचे देखें मोदी सरकार की प्राथमिकता में शामिल महत्वपूर्ण बिल.
तीन तलाक बिल. महिला आरक्षण विधेयक. ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा बिल. मासूमों से रेप पर फांसी के लिए आपराधिक कानून संशोधन बिल. भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक 2018. मानवाधिकार सुरक्षा संशोधन बिल. सूचना का अधिकार संशोधन बिल. जन प्रतिनिधि संशोधन बिल 2017. नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट संशोधन बिल. दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता बिल. डीएनए प्रौद्योगिकी उपयोग नियामक बिल. बांध सुरक्षा बिल. मानव तस्करी रोकथाम बिल. सुरक्षा एवं पुनर्वास बिल.
बताते चलें कि इन सभी बिलों के अलावा सरकार की योजना भ्रष्टाचार रोकथाम संशोधन बिल, नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दूसरा संशोधन बिल, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय बिल और महत्वपूर्ण बंदरगाह प्राधिकार बिल जिन्हें राज्यसभा में पेश किया गया था और फिर प्रवर समिति को भेज दिया था, पर चर्चा के लिए सदन में पेश करने की भी है.
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