Parakram Diwas: सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज, जानें क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस

नई दिल्लीः भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस का नाता पराक्रम दिवस से है। हर वर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है। यह दिन साहस को सलाम करने का है। पराक्रम दिवस के मौके पर कई तरीके के कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है। बच्चों को स्कूल-काॅलेज में […]

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Parakram Diwas: सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज, जानें क्यों मनाया जाता है पराक्रम दिवस

Tuba Khan

  • January 23, 2024 9:06 am Asia/KolkataIST, Updated 10 months ago

नई दिल्लीः भारत के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्रांतिकारी सुभाष चंद्र बोस का नाता पराक्रम दिवस से है। हर वर्ष 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाया जाता है। यह दिन साहस को सलाम करने का है। पराक्रम दिवस के मौके पर कई तरीके के कार्यक्रमों को आयोजित किया जाता है। बच्चों को स्कूल-काॅलेज में इस दिन का महत्व बताया जाता है और स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन की याद को ताजा किया जाता है। पराक्रम दिवस मनाने का खास कारण है। इस दिन का संबंध सुभाष चंद्र बोस है। इस दिन सुभाष चंद्र बोस को नमन किया जाता है और उनके योगदान को याद किया जाता है।

पराक्रम दिवस का इतिहासParakram Diwas History 23 Janaury and Subhash Chandra Bose Jayanti 2024

हर साल 23 जनवरी को पराक्रम दिवस मनाते हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत वर्ष 2021 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। भारत सरकार के एलान के बाद हर वर्ष पराक्रम दिवस 23 जनवरी को मनाया जाने लगा।

भारत सरकार ने यह दिन सुभाष चंद्र बोस के नाम समर्पित किया है। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी को हुआ था। उनकी जयंती के अवसर पर हर वर्ष पराक्रम दिवस मनाकर नेता जी को याद किया जाता है और आजादी के लिए उनके योगदान के लिए नमन करते हैं।

पराक्रम दिवस के रूप में ही क्यों मनाते हैं ?

सुभाष चंद्र बोस की जयंती पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का भी कारण है। बोस का संपूर्ण जीवन हर युवा और भारतीय के लिए आदर्श है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए बोस इंग्लैंड पढ़ने गए लेकिन देश की आजादी के लिए प्रशासनिक सेवा का परित्याग कर स्वदेश वापस लौट आए। यहां उन्होंने आजाद भारत की मांग करते हुए आजाद हिंद सरकार और आजाद हिंद फौज का गठन किया। इतना ही नहीं उन्होंने खुद का आजाद हिंद बैंक स्थापित किया, जिसे 10 देशों का समर्थन मिला। उन्होंने भारत की आजादी की जंग विदेशों तक पहुंचाने का कार्य किया।

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