सीबीएसई ने 12वीं कक्षा के अर्थशास्त्र और 10वीं कक्षा के मैथ का पेपर लीक हो जाने के कारण दोनों एग्जाम दोबारा कराने का निर्णय लिया है. पेपर लीक का मामला किसी के गले नहीं उतर रहा क्योंकि जितनी सुरक्षा के बीच यह पेपर तैयार होता है उससे लीक होना नामुमकिन है. पेपर बनाने वाले को खुद भी नहीं पता होता कि उसका बनाया हुआ पेपर कहां जाएगा. बाकी सुरक्षा इतनी चाक चौबंद होती है कि परीक्षा हॉल से पहले पेपर नहीं खोला जा सकता.
नई दिल्ली. सीबीएसई का पेपर लीक मामला गर्माया हुआ है. ऐसे में आपके जेहन में भी कई तरह के सवाल चल रहे होंगे कि सीबीएसई का पेपर कैसे बनता है कैसे एग्जाम सेंटर तक पंहुचता है? इन सब का जवाब हम आपको बता रहे हैं. दरअसल पेपर तैयार किये जाने से लेकर परीक्षा केंद्र तक पंहुचने में तकरीबन छह महीने लगते हैं. हर कदम पर जबरदस्त मोनिटरिंग की जाती है, पैनी नजर रखी जाती है. वाबजूद इसके भी अगर पेपर लीक हो जाये तो ये पूरे सिस्टम पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. अब जांच इस बात की हो रही है की आखिर चूक कहां से हुई, कहां सेंध लगी? क्राइम ब्रांच के साथ साथ एसआईटी का भी गठन किया गया है, साथ ही सीबीएसई ने भी एक इंटरनल जांच बैठा दी है. आइये आपको बताते हैं क्वेश्चन पेपर का सीबीएसई से सेंटर तक के सफ़र के बारे में ….
स्टेप- 1. सही मायने में देखें तो एक सब्जेक्ट का पेपर तैयार करने में करीब छह महीने लगते हैं. प्रश्न पत्र तैयार करने की प्रक्रिया हर साल अगस्त में शुरू होती है. नौ से सत्रह लोग इसमें शामिल होते हैं, इनका क्वालिफिकेशन तय होता है. ये देश भर से चुने जाते हैं और एक दूसरे के बारे में इन्हें कोई जानकारी नहीं होती न ही एक दूसरे से इन्हें घुलने मिलने की इजाजत होती है. ये भी ध्यान रखा जाता है कि वो प्राइवेट ट्यूशन या कोचिंग नहीं करते हों, साथ ही इनके परिवार और नजदीकी रिश्तेदार में से कोई भी परीक्षा नहीं दे रहा हो. इसमें करीब दो महीने लगते हैं. हर प्रश्नपत्र के तीन सेट बनाए जाते हैं. इन प्रश्नपत्रों को एक सील बंद लिफ़ाफ़े में सीबीएसई को भेज दिया जाता है.
स्टेप- 2. एक्सपर्ट्स की हर साल टीम बनाई जाती है- जिसे मॉडरेटर कहते हैं. वो इसे चेक करता है. ये ख्याल रखा जाता है की सिलेबस ठीक से फ़ॉलो हुआ या नहीं, प्रश्न का स्टेंडर्ड ठीक है या नहीं? इसके बाद प्रिंटिंग के लिए भेज दिया जाता है. वैसे तो सभी सेट के सवाल लगभग एक जैसे होते हैं, लेकिन उनका क्रम अलग-अलग होता है. जैसे जहां एक सेट में कोई सवाल पहले नंबर है तो दूसरे सेट में पांचवे नंबर पर हो सकता है. हालांकि, सभी सेट्स एक समान मुश्किल होते हैं. प्रश्नपत्र तैयार करने के दौरान इतनी गोपनीयता होती है कि तैयार करने वाले को भी पता नहीं होता की उनका सेट इस्तेमाल हो रहा है या नहीं.
स्टेप- 3. बैंक में प्रश्न पत्र सीबीएसई द्वारा पहुंचाए जाते हैं. ऐसे बैंक को कस्टोडियन बैंक कहा जाता है. कस्टोडियन बैंक कौन सा होगा, इसका चुनाव भी सीबीएसई ही करती है और इसकी सूचना स्कूल को भेज दी जाती है. जिस स्कूल को बोर्ड की परीक्षा का सेंटर बनाया जाता है, बैंक उस स्कूल के काफ़ी क़रीब होते हैं.
स्टेप- 4. जिस दिन जिस विषय की परीक्षा होती है उस दिन स्कूल तक प्रश्न पत्र बैंक से लाए जाते हैं. रास्ते में उस गाड़ी में एक सुरक्षा गार्ड, एक सीबीएसई का प्रतिनिधि और एक स्कूल का प्रतिनिधि होता है. स्कूल के प्रतिनिधि, बैंक प्रतिनिधि और सीबीएसई के प्रतिनिधि तीनों की मौजूदगी में प्रश्न पत्र को बैंक के लॉकर से निकाला जाता है. ये पुख्ता किया जाता है कि कोई भी छेड़ छाड़ नहीं हुई है.
स्टेप- 5. बोर्ड की परीक्षा शुरू होने से ठीक आधे घंटे पहले स्कूल प्रिंसिपल, बोर्ड के हेड एग्जामिनर और परीक्षा में निगरानी के लिए शामिल होने वाले शिक्षकों की मौजूदगी में प्रश्न पत्र को खोला जाता है. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी भी की जाती है और तुरंत सीबीएसई को भेजा जाता है. हर मौके पर इस बात का खास ख़्याल रखा जाता है कि प्रश्न पत्र की सील खुली न हो.
स्टेप- 6. फिर क्लास रूम में शिक्षक प्रश्न पत्र बांटने के लिए निकलते हैं और तय समय पर घंटी बजने के बाद हर क्लास में एक साथ एक समय पर प्रश्न पत्र बंटना शुरू होता है. ये पूरी प्रक्रिया परीक्षा शुरू होने से दो घंटे पहले शुरू होकर ख़त्म हो जाती.
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