नई दिल्ली: सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के खिलाफ 3 साल से 10 साल तक की जेल और न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने के प्रावधान वाले लोक परीक्षा विधेयक को आज लोकसभा ने पारित कर दिया है. लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते […]
नई दिल्ली: सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक और फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के खिलाफ 3 साल से 10 साल तक की जेल और न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने के प्रावधान वाले लोक परीक्षा विधेयक को आज लोकसभा ने पारित कर दिया है. लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए भारत के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि इस कानून के दायरे में विद्यार्थी या अभ्यर्थी नहीं आते और ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि इसके जरिए उम्मीदवारों का उत्पीड़न होगा।
उन्होंने कहा कि यह कानून उन लोगों के लिए लाया गया है जो इस परीक्षा प्रणाली के साथ गड़बड़ी करते हैं. राजनीति से यह विधेयक ऊपर है और देश के बेटे-बेटियों के भविष्य से जुड़ा है. वहीं जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनियमितता की वजह से परीक्षा रद्द होने पर पुनर्परीक्षा के लिए समय-सीमा तय करने के कुछ सदस्यों के सुझाव पर कहा कि इस तरह के मामलों में सीबीआई जांच और अन्य प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं, इसलिए सीमारेखा तय करना संभव नहीं लेकिन सरकार का प्रयास इन्हें समय पर कराना होगा।
जितेंद्र सिंह ने द्रविण मुन्नेत्र कषगम के सदस्य कथिर आनंद के सदन में चर्चा के दौरान दिए बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि तमिलनाडु के सांसद ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाषा की वजह से छात्रों के साथ भेदभाव होता है. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पहली बार पीएम मोदी की सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और अन्य परीक्षाओं को तमिल समेत 13 भाषाओं में कराना शुरू किया है और आशा है कि 8वीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराई जाएंगी।
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