नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वहां पर आटे,दाल, चावल और चीनी के लिए के लिए मारामारी हो रही है। खाने की मूलभूत चीजें इतनी महंगी हो चुकी हैं कि आम आदमी के लिए बमुश्किल एक समय का खाना मुहैया हो पा रहा है। पीओके […]
नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई है कि वहां पर आटे,दाल, चावल और चीनी के लिए के लिए मारामारी हो रही है। खाने की मूलभूत चीजें इतनी महंगी हो चुकी हैं कि आम आदमी के लिए बमुश्किल एक समय का खाना मुहैया हो पा रहा है। पीओके की स्थिति और खराब है यहां पर लोगों को आटा तक नसीब नहीं हो रहा है।
पाकिस्तान गिलगित और बाल्टिस्तान की लगातार अनदेखी कर रहा है। वहां पर और शहरों की तुलना में ना के बराबर समान पहुंच रहा है। जो सामान पहुंच रहा है उसकी कीमत इतनी मंहगी है कि लोग खरीद नहीं पा रहे है। एक किलो आटे का दाम 200 रूपये किलो है, वहीं चीनी और दाल का भाव भी 200 के पार है। गिलगिल और बाल्टिस्तान के लोग सामान लदे गाड़ी का पीछा करते हुए देखे जा रहे है। यहां के लोग इतने गुस्से में है कि सड़कों पर उतर कर नारा लगा रहे है की हमको भारत में शामिल कर दिया जाए। बता दें कि जब भारत से पाकिस्तान हारा था तो वहां के पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा था कि भले हम घास की रोटियां खानी पड़े, लेकिन हम परमाणु बम बनाकर रहेंगे।
यही हालत रही तो पाकिस्तान को घास की रोटियां खानी पड़ेगी। पाकिस्तान की आर्थिक हालत श्रीलंका से भी खराब हो गई है। वहां के लोग कारगिल रोड खोलने की मांग कर रहे है और लद्दाख के साथ जोड़ने की बात कर रहे है। पाकिस्तान की मंहगाई दर 25 फीसद पहुंच गयी है। इकोनॉमिस्ट बता रहे है कि अगर यही हाल कुछ दिन तक रहा तो महंगाई की दर 40 फीसद पहुंच सकती है।
पाकिस्तान की स्थिति एक साल के भीतर ज्यादा ही खराब हो गई। पिछले साल यानी 2022 जनवरी का बात करें तो प्याज की कीमत 37 रूपये थी वहीं जनवरी 2023 में 220 रूपये प्रति किलो पहुंच गयी। नमक का दाम 25 रूपये से 50 रूपये तक पहुंच गया। सबसे ज्यादा वृद्धि सरसों के तेल में देखने को मिली, जो 374 से 532 रूपये पहुंच गया। लगभग सब चीजें महंगी और आम इंसान की पहुंच से दूर हो गई है।
सऊदी अरब पाकिस्तान को 4 फीसदी की दर पर 3 अरब डॉलर का कर्ज दे चुका है। चीन ने भी एक अरब डॉलर की मदद करने का आश्वासन दिया है। जर्मनी ने बाढ़ से उबारने के लिए 8.8 करोड़ यूरो की मदद दे चुका है। एशियाई देश बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों को पुनर्वास के लिए 8.8 करोड़ डॉलर की मदद दे रहा है।
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