Pakistan to Open Sharada Peeth Corridor: कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के लिए क्यों खास है पीओके में बसा शारदा पीठ मंदिर

Pakistan to Open Sharada Peeth Corridor: पाकिस्तान ने पीओके में बसे हिंदू धर्मस्थल शारदा पीठ पर कॉरिडोर बनाने के लिए मंजूरी दे दी है. अब करतारपुर कॉरिडोर की तरह शारदा पीठ में भी कॉरिडोर खोला जाएगा. शारदा पीठ पीओके में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो कि कश्मीरी पंडितों के आस्था का प्रमुख केंद्र है. भारत-पाक बंटवारे के बाद से ही यह मंदिर वीरान है और भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए यहां जाने की मनाही है.

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Pakistan to Open Sharada Peeth Corridor: कश्मीरी पंडितों और हिंदुओं के लिए क्यों खास है पीओके में बसा शारदा पीठ मंदिर

Aanchal Pandey

  • March 25, 2019 9:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) में बसे शारदा पीठ मंदिर पर कॉरिडोर बनाने की मंजूरी दे दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान भारतीय हिंदुओं के लिए शारदा पीठ पर कॉरिडोर बनाएगा जिससे श्रद्धालु वहां जाकर दर्शन कर सकेंगे. एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) के पार स्थित शारदा पीठ खासकर कश्मीरी पंडितों के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल है. भारत-पाक बंटवारे के बाद से ही यहां भारतीय श्रद्धालुओं के जाने की मनाही है. कुछ महीनों पहले सिखों के लिए पाकिस्तान में करतारपुर कॉरिडोर खुलने के बाद से ही हिंदुओं के लिए उम्मीद जगी थी कि पाकिस्तान शारदा पीठ को खोले जाने की उम्मीद जगी थी. हालांकि पुलवामा हमले और उसके बाद हुई एयरस्ट्राइक के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए. अब एक बार फिर शारदा पीठ कॉरिडोर के जरिए भारत और पाकिस्तान के बीच शांति के कयास लगाए जा रहे हैं. आइए जानते हैं शारदा पीठ कश्मीरी पंडित और हिंदुओं के लिए क्यों है खास.

कहां है शारदा पीठ-

शारदा पीठ पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में बसे शारदा गांव में स्थित है. शारदा पीठ कश्मीर की सुंदर नीलम घाटी में बसा है. पीओके के मुज्जफराबाद से यह करीब 140 किलोमीटर की दूरी पर है. भारत-पाक विभाजन के बाद से ही भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए इस मंदिर को बंद कर दिया गया. बताया जाता है कि यह प्राचीनतम हिंदू मंदिरों में से एक है. इसका निर्माण पहली शताब्दी में हुआ था. शारदा पीठ में प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक शारदा विश्वविद्यालय के भी खंडहर मौजूद हैं.

 

शारदा पीठ को सरस्वती देवी की आराधना का धाम माना जाता है. कई इतिहासकार इसे बौद्ध धर्म से भी जोड़ते हैं. इनका मानना है कि बौद्ध अनुयायियों ने इस क्षेत्र में अपने धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए शारदा पीठ की स्थापना की थी. इसके अलावा कुछ लोगों का मानना है कि शारदा पीठ भगवान शिव का निवास स्थान रहा था.

कश्मीरी पंडितों के लिए क्यों है खास-

इस शक्तिपीठ को कश्मीर में रहने वाले हिंदुओं ने ही आबाद किया था. शारदा पीठ सदियों से कश्मीरी पंडितों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र रहा है. आजादी से पहले कश्मीरी पंडित यहां तीर्थ यात्रा के लिए जाया करते थे, लेकिन विभाजन के बाद यह मंदिर सुनसान हो गया. अब अगर शारदा पीठ कॉरिडोर खुलता है तो कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ अन्य भारतीय हिंदू यहां दर्शन के लिए जा सकेंगे.

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शारदा पीठ भले ही दशकों से वीरान पड़ा है लेकिन परिसर की इमारतों पर किसी तरह का अतिक्रमण नहीं है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जो लोग वहां गए हैं वे बताते हैं कि शारदा पीठ में चारों तरफ खंडहर देखे जा सकते हैं. हालांकि मुख्य मंदिर की इमारत जस की तस है लेकिन छत गायब है. प्राचीन मंदिर होने के कारण मंदिर की छत जीर्ण-शीर्ण हो गई होगी.

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