कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया शशि थरूर के बयान से खासा नाराज हैं. दरअसल ज्योतिरादित्य खुद सिंधिया राजघराने से हैं. ऐसे में उनको थरूर की बात सही नहीं लगी और उन्होंने थरूर को इतिहास पढ़ने की नसीहत दे डाली. उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्हें (शशि थरूर) इतिहास का अध्ययन करना चाहिए. मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया हूं और मुझे अपने अतीत पर गर्व है.'
वडोदराः संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पद्मावती’ पर चल रहे विवाद में अब दो कांग्रेसी दिग्गज आमने-सामने आ गए हैं. कांग्रेसी सांसद शशि थरूर के राजाओं की कायरता वाले बयान पर अब कांग्रेस सांसद और ग्वालियर राजघराने के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पलटवार किया है. गुजरात में चुनाव प्रचार कर रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने वडोदरा में मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि उन्हें (शशि थरूर) इतिहास का अध्ययन करना चाहिए. मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया हूं और मुझे अपने अतीत पर गर्व है.’ इससे पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने थरूर की टिप्पणी पर तंज कसते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘क्या सभी महाराजाओं ने ब्रिटिश के सामने घुटने टेके थे??? शशि थरूर की इस टिप्पणी पर क्या कहेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्गी राजा और अमरिंदर सिंह?’
कांग्रेस के दिग्गज नेता और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया शशि थरूर के बयान से खासा नाराज हैं. दरअसल ज्योतिरादित्य खुद सिंधिया राजघराने से हैं. ऐसे में उनको थरूर की बात सही नहीं लगी और उन्होंने थरूर को इतिहास पढ़ने की नसीहत दे डाली. बता दें कि एक समारोह में शशि थरूर से सवाल किया गया था कि उनकी किताब ‘एन एरा ऑफ डार्कनेस: द ब्रिटिश एम्पायर इन इंडिया’ में पीड़ा का भाव क्यों है जबकि उनकी राय यह है कि भारतीयों ने अंग्रेजों का साथ दिया था. इस पर थरूर ने कहा था कि आज जो यह तथाकथित जांबाज महाराजा एक फिल्मकार के पीछे पड़े हैं और दावा कर रहे हैं कि इस फिल्म से उनका सम्मान दांव पर लग गया है. यही महाराजा उस समय भाग खड़े हुए थे जब ब्रिटिश शासकों ने उनके मान-सम्मान को रौंद दिया था.
थरूर की टिप्पणी के बाद अचानक वह ट्रोलर्स की नजरों पर चढ़ गए. विवाद बढ़ता देख थरूर ने ट्वीट कर इस बारे में सफाई दी. उन्होंने लिखा, ‘कुछ भाजपाई अंधभक्तों द्वारा साजिशन झूठा प्रचार किया जा रहा है कि मैंने राजपूत समाज के सम्मान के खिलाफ टिप्पणी की है. मैंने राष्ट्र हित में अंग्रेज हुकूमत के कार्यकाल का विरोध करते हुए उन राजाओं की चर्चा की थी, जो स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के साथ थे. मैं यह भी निर्भीक होकर कहूँगा कि भारत की विविधता व समरसता के मध्यनजर राजपूत समाज की भावनाओं का आदर किया जाना सबका कर्तव्य है. राजपूतों की बहादुरी हमारे इतिहास का हिस्सा है व इस पर कोई प्रश्न नहीं उठा सकता. भाजपा व उसके सेंसर बोर्ड को इन भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.’
गौरतलब है कि संजय लीला भंसाली की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘पद्मावती’ विवादों के साये में घिरी हुई है. राजपूत करणी सेना और राजपूत समाज फिल्म का लगातार विरोध कर रहा है. उन्होंने डायरेक्टर संजय भंसाली पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाते हुए फिल्म पर बैन लगाने की मांग की है. करणी सेना ने फिल्म में रानी पद्मावती का किरदार निभा रही एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण को उनकी नाक काटने की धमकी दी है. करणी सेना फिल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को भी धमकी दे चुकी है. सेना द्वारा धमकी मिलने के बाद दीपिका और संजय भंसाली की सुरक्षा बढ़ा दी गई है. राजपूत समुदायों द्वारा राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, यूपी और कर्नाटक में फिल्म का काफी विरोध हो रहा है. यह फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज होने वाली है.
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