संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. वहीं इस बीच इंडिया न्यूज के एडिटर इन चीफ दीपक चौरसिया ने भी बुधवार को पेड प्रीव्यू में 'पद्मावत' फिल्म को देखा. उनके मुताबिक पद्मावत में राजपूत समाज को नीचा दिखाने की कतई कोशिश नहीं की गई है. इतना ही नहीं फिल्म में फिल्म में पद्मावती और खिलजी के बीच कोई ड्रीम सीन भी नहीं है और न ही दोनों के बीच कोई इंटिमेंट सीन फिल्माए गए हैं. अब सवाल यह उठता है कि पद्मावत को लेकर देश भर में हो रहे बवाल का जिम्मेदार कौन है -संजय लीला भंसाली या करणी सेना?
नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को लेकर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच इंडिया न्यूज के एडिटर इन चीफ दीपक चौरसिया ने भी आज पेड प्रीव्यू में ‘पद्मावत’ फिल्म को देखा. उनके मुताबिक पद्मावत में राजपूत समाज को नीचा दिखाने की कतई कोशिश नहीं की गई है. इतना ही नहीं फिल्म में फिल्म में पद्मावती और खिलजी के बीच कोई ड्रीम सीन भी नहीं है और न ही दोनों के बीच कोई इंटिमेंट सीन फिल्माए गए हैं. लेकिन इन सब के बावजूद आखिर फिल्म को लेकर विवाद अभी भी क्यों जारी है.
वहीं दूसरी ओर पद्मावत के 3D में रिलीज से ठीक पहले उग्र हुए प्रदर्शन की आग कई राज्यों में नज़र आई. लेकिन विरोध की सबसे अमानवीय तस्वीर गुड़गांव से आई जहां प्रदर्शनकारी स्कूल की बस पर पत्थर चला रहे थे और अंदर फंसे बच्चों और महिलाएं का दहशत के मारे बुरा हाल था. महिलाएं रो रही थीं. बच्चे रो रहे थे लेकिन उनकी हिफाजत करने वाला कोई नहीं था.
वहीं गुड़गांव में ही प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा रोडवेज की बस को आग के हवाले कर दिया और पत्थरबाजी की. जयपुर में करणी सेना ने दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम कर दिया और जलते टायरों ने गाड़ियों पर ब्रेक लगा दिया. हालांकि, लखनऊ पुलिस करणी सेना के कार्यकर्ताओं से पूरी सख्ती से निपटती दिखी. लेकिन राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश तक और गुजरात से लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक करणी सेना समेत दूसरे संगठनों का विरोध जारी रहा.
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