P Chidambaram on CBI Remand in INX Media Case Court Hearing: पी चिदंबरम को भेजा गया 5 दिन की रिमांड पर, सीबीआई कोर्ट में सुनवाई का पूरा अपडेट- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या-क्या कहा?
P Chidambaram on CBI Remand in INX Media Case Court Hearing: सीबीआई कोर्ट ने पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. उन्हें सीबीआई 26 अगस्त तक अपनी कस्टडी में रखेगी और आईएनएक्स मीडिया केस में पूछताछ करेगी. इससे पहले सीबीआई ने पी चिदंबरम को बुधवार रात गिरफ्तार किया था और गुरुवार दोपहर उन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया. अदालत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीबीआई की ओर पक्ष रखा और कहा कि चिदंबरम जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं इसलिए उन्हें रिमांड पर भेजा जाए. जबकि चिदंबरम के वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि चिदंबरम जांच में पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं. सीबी्आई का रवैया इस केस में गलत है. यहां जानिए सीबीआई कोर्ट में चली 90 मिनट की कार्यवाही में किस पक्ष ने क्या दलील दी?
August 22, 2019 7:00 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago
नई दिल्ली. आईएनएक्स मीडिया केस में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को सीबीआई कोर्ट ने 5 दिन की रिमांड पर भेज दिया है. अब सीबीआई 26 अगस्त तक चिदंबरम से पूछताछ करेगी. उन्हें बुधवार रात सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. जिसके बाद गुरुवार को बाद राउज एवेन्यू सीबीआई स्पेशल कोर्ट में पेश किया. करीब डेढ़ घंटे हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की. मेहता ने अदालत से पी चिदंबरम की 5 दिन की रिमांड मांगी. सीबीआई का तर्क है कि वे जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं ऐसे में उन्हें रिमांड पर भेजा जाए. दूसरी तरफ कोर्ट रूम में पी चिदंबरम की ओर से वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की. उन्होंने चिदंबरम को रिमांड पर भेजे जाने की सीबीआई की दलील का विरोध किया और कहा कि सरकारी गवाह के बयान की आड़ में सीबीआई ने चिदंबरम की गिरफ्तारी की. पूरे केस में सीबीआई का रवैया गलत है. चिदंबरम के जांच में सहयोग नहीं करने के सीबीआई के आरोप बेबुनियाद हैं. पढ़िए इस मामले की पूरी बहस का लिखित अपडेट-
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में सबसे पहले रखा सीबीआई का पक्ष-
आईएनएक्स मीडिया केस में काफी रकम ट्रांसफर हुई है.
पी चिदंबरम जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.
चिदंबरम को 5 दिन के लिए सीबीआई रिमांड पर भेजा जाए.
यह मामला सीधा-सीधा मनी लॉन्ड्रिंग का है.
चिदंबरम ने दस्तावेज नहीं दिए हैं.
सीबीआई ने कोर्ट में इस केस की डायरी भी पेश की है.
पी चिदंबरम ने पद का दुरुपयोग किया और उनके खिलाफ पुख्ता सबूत हैं.
उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना जरूरी है.
पी चिदंबरम की ओर से पहले कपिल सिब्बल ने बहस की-
आईएनएक्स मीडिया मामले की जांच पूरी हो चुकी है.
इस मामले के अन्य आरोपियों को जमानत मिली है.
इंद्राणी मुखर्जी, पीटर मुखर्जी, कार्ति चिदंबरम, भास्कर रमन सभी बेल पर जा चुके हैं.
इस मामले में मनी ट्रांसफर की मंजूरी फॉरेन इनवेस्टेमेंट प्रोमोशन बोर्ड यानी एफआईपीबी के सेक्रेटरी ने दी थी.
एफआईपीबी के 6 सेक्रेटरी को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया?
सीबीआई के सबूतों पर कैसे भरोसा किया जाए.
मामले की जांच पूरी हो चुकी है और ड्राफ्ट चार्जशीट भी तैयार है.
सीबीआई बताए कि आज सुबह चिदंबरम से जो 12 सवाल पूछे थे वो क्या थे.
सीबीआई 6 जून को हुई पूछताछ की जानकारी भी कोर्ट में साझा करे.
चिदंबरम हमेशा से ही इस मामले की जांच में सहयोग करते आए हैं.
चिदंबरम को बुधवार रात गिरफ्तार कर लिया गया था तो उनसे रात में पूछताछ क्यों नहीं की?
चिदंबरम 8 बजे सोकर उठे लेकिन सीबीआई ने 11 बजे पूछताछ शुरू की.
आईएनएक्स मीडिया केस में किसी ने पैसा लिया होता तो कहीं न कहीं जाता.
किसी अकाउंट में या किसी के बैग में. ये पैसे कहां गए?
केस डायरी में पैसों का जिक्र कहां है?
हाई कोर्ट के जज ने फैसला सुनाने में 7 महीने का समय लिया और तब तक हमें राहत मिली तो इसमें हमारी क्या गलती है?
जमानत आरोपी का अधिकार है.
सीबीआई डायरी की बात कर रही है और केस डायरी को सबूत बता रही है. जबकि डायरी को आप सबूत नहीं कह सकते.
पी चिदंबरम के दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने क्या कहा-
आईएनएक्स मीडिया केस में 11 साल बाद गिरफ्तारी क्यों हो रही है?
सीबीआई ने इस मामले में किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया तो अब गिरफ्तारी क्यों?
इस मामले में इंद्राणी मुखर्जी के बयान को आधार बनाया गया.
गुनाह कबूल नहीं करना, जांच में असहयोग नहीं.
सीबीआई को वो जवाब नहीं मिल रहा है जो वे सुनना चाहते हैं.
चिदंबरम जो सीबीआई सुनना चाहती है वो जवाब नहीं देंगे.
जांच में सहयोग तब नहीं होता जब 10 बार बुलाया जाता और चिदंबरम 5 बार ही जाते.
इस केस में सबूतों का कोई लेनादेना नहीं है.
सरकारी गवाह के बयान की आड़ में उनको गिरफ्तार किया है.
सरकारी गवाह का बयान स्टेटस होता है सबूत नहीं.
रिमांड कुछ स्पेशल मामलों में दी जाती है और ये मामला सबूतों के साथ छेड़छाड़ का नहीं है.
इस पूरे केस में ही सीबीआई का रवैया गलत है.
1 महीने तक सीबीआई ने चिदंबरम को फोन तक नहीं किया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने फिर कोर्ट में बहस की-
कानून की नजर में सभी बराबर हैं.
हम ऐसे आरोपी के बारे में बात नहीं कर रहे जो अज्ञानी हो, आरोपी पढ़े लिखे और बहुत ही समझदार हैं.
इस मामले में कार्ति चिदंबरम को भी रिमांड पर भेजा गया था. कार्ति इस मामले में पुलिस कस्टडी और ज्यूडिशियल कस्टडी में भी भेजे गए थे. कार्ति चिदंबरम को हाई कोर्ट से जमानत मिली थी.
हमनें पी चिदंबरम के मामले में कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि इस मामले की जांच जारी है और आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत है.
इस मामले में गवाह का बयान है. 20 जून के बाद चिदंबरम को कुछ ही समय बाद गिरफ्तारी से राहत मिल गई थी.
उसके बाद से चिदंबरम को लगातार राहत मिली हुई थी, जब तक कि हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज नहीं कर दी.
आईएनएक्स मीडिया केस में समझदार लोग शामिल हैं, ये बेहद गंभीर मामला है.
अगर हम इस पूरे मामले की तह तक नहीं जा पाएंगे तो बतौर जांच एजेंसी हम फेल हैं.