गाजीपुर/लखनऊ: माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके गाजीपुर स्थित घर पर शोक जताने के लिए नेताओं का पहुंचना जारी है. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मुख्तार के घर पहुंचकर सांत्वना जता चुके हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर लोग अखिलेश यादव […]
गाजीपुर/लखनऊ: माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी की मौत के बाद उसके गाजीपुर स्थित घर पर शोक जताने के लिए नेताओं का पहुंचना जारी है. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मुख्तार के घर पहुंचकर सांत्वना जता चुके हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर लोग अखिलेश यादव के मुख्तार के घर न जाने को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.
इस मामले पर समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री यासर शाह ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. उन्होंने अपनी वालिदा के इंतेकाल की कहानी सुनाते हुए ये बताने की कोशिश की है कि अखिलेश यादव अभी तक मुख्तार के घर शोक व्यक्त करने क्यों नहीं गए…
यासर शाह ने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा है, ‘सुबह 6:35 पर मेरी वालिदा के इंतेकाल की खबर मेरे पास आई, मेरा दिमाग इतना सुन्न था कि मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि मैं करूं तो क्या करूं. फिर भी दो-तीन लोगों को फोन कर के बताना जरूरी था तो मेरी बीवी ने बता दिया. 7:04 पर मैंने अखिलेश जी को मैसेज किया और 7:05 पर अखिलेश जी का फोन आ गया, पूछा कितने बजे आना है मिट्टी में तो मैंने कहा मैं आपको थोड़ी देर में बताता हूं. जब कुछ होश संभाला तो मैंने उनसे फोन कर के कहा कि भइया बेइंतहा भीड़ होगी और मिट्टी रात के 10 बजे से पहले नहीं हो पाएगी,आप आज मत आएं, बाद में ताजियत में आ जाइएगा. अखिलेश जी 22 फरवरी को मेरे घर आए वो भी मुझसे पूछ कर कि क्या ये दिन ठीक रहेगा आने के लिए.’
यासर शाह आगे लिखते हैं, ‘जिस दिन मुख्तार साहब का इंतेकाल हुआ उस दिन सबसे पहले अफजाल अंसारी साहब से बात करने वालों में अखिलेश जी ही थे और एक बार नहीं कई बार. अखिलेश जी मरहूम मुख्तार अंसारी साहब के यहां कब जाएंगे, कितने दिन बाद जाएंगे, ये मुख्तार अंसारी साहब के घरवालों और अखिलेश जी के बीच की बात है. समाजवादी पार्टी का हर नेता चाहे हिंदू हो या मुसलमान जो भी उनके घर पहुंच पाया उसी वक्त पहुंच गया, सबने अपनी अपनी तरह से श्रद्धांजलि दी और इस बात को चीख-चीख कर कहा कि मुख्तार साहब कोई आम इंसान नहीं बल्कि हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए देवता थे, मसीहा थे.’
सपा नेता ने लिखा, ‘जैसे वालिदा मेरी थीं, गम मेरा था, वैसे ही मुख्तार अंसारी साहब के घर वालों का गम उनके घर वाले ही समझ सकते हैं और कोई नहीं महसूस कर सकता. हां, इस पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने वाले और उनके घर जा कर दावत उड़ाते फोटो खिंचवाने वाले आपको ज्यादातर मुसलमान ही मिलेंगे वो भी पतंग पार्टी के इफरात में होंगे.’
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