नई दिल्ली: लोकसभा में कल सांसदों का शपथ ग्रहण हुआ. इस दौरान तेलंगाना की हैदराबाद सीट से फिर से चुनकर आए AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में अपने शपथ ग्रहण के बाद नए विवाद को जन्म दे दिया. बता दें कि ओवैसी ने शपथ लेने के बाद ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया. इस नारे […]
नई दिल्ली: लोकसभा में कल सांसदों का शपथ ग्रहण हुआ. इस दौरान तेलंगाना की हैदराबाद सीट से फिर से चुनकर आए AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में अपने शपथ ग्रहण के बाद नए विवाद को जन्म दे दिया. बता दें कि ओवैसी ने शपथ लेने के बाद ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया. इस नारे पर सता पक्ष के लोगों ने विरोध जताया है.
संविधान के अनुच्छेद-102 में संसद के किसी भी सदन के सदस्य को अयोग्य ठहराए जाने के नियमों का उल्लेख है. आर्टिकल-102 के मुताबिक अगर किसी संसद सदस्य ने स्वेच्छा से किसी और देश की नागरिकता प्राप्त कर ली है या किसी विदेशी राज्य के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर करता है तो उसकी संसद सदस्यता जा सकती है.
बता दें कि अनुच्छेद 102 के तहत ही राहुल गांधी की सदस्यता रद्द की गई थी. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अंतर्गत राहुल गांधी की सदस्यता गई थी. मालूम हो कि साल 2019 में राहुल गांधी ने ‘मोदी सरनेम’ को लेकर टिप्पणी की थी. इस मामले में उन्हें दो साल की सजा हुई थी, जिसके बादउनकी सांसदी चली गई थी. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 में आपराधिक मामलों में सजा पाने वाले सांसद या विधायक की सदस्यता को रद्द करने का प्रावधान होता है.
वहीं, ओवैसी के मामले में कहा जा रहा है कि उन्होंने फिलिस्तीन के प्रति अपनी निष्ठा जताई है. ऐसे में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102-D के अनुसार उनकी सांसदी जा सकती है. गौरतलब है कि ओवैसी ने लोकसभा में सांसद के रूप में शपथ लेने के दौरान फिलिस्तीन के समर्थन में नारा लगाया था, जिसका बीजेपी सांसदों के कड़ा विरोध के किया. विरोध किए जाने के बाद प्रोटेम स्पीकर ने उनके इस नारे को लोकसभा की कार्यवाही से हटा दिया.
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