Advertisement
  • होम
  • देश-प्रदेश
  • Opposition On Rafale Deal Verdict: सुप्रीम कोर्ट के राफेल डील मामले पर फैसले के बाद JPC जांच पर अड़ी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी

Opposition On Rafale Deal Verdict: सुप्रीम कोर्ट के राफेल डील मामले पर फैसले के बाद JPC जांच पर अड़ी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी

Opposition On Rafale Deal Verdict: आज सुप्रीम कोर्ट ने नरेंद्र मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए राफेल डील मामले में उनके पक्ष में फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के मोदी सरकार के पक्ष में दिए फैसले को याचिकाकर्ता ने गलत करार दिया है. उन्होंने इस मामले में दोबारा याचिका दायर करने का फैसला किया है.

Advertisement
Congress and AAP attacks Modi govt over Rafale deal
  • December 14, 2018 12:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील मामले में अपना फैसला सुनाया. उन्होंने ये फैसला नरेंद्र मोदी सरकार के पक्ष में सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला प्रशात भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा द्वारा दायर की गई राफेल विमान खरीद सौदे को रद्द करने की याचिका और इस मामले में अदालत के सामने जांच की याचिका पर फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दायर सभी याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राफेल की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं है. उन्हें विमानों की खरीद के एनडीए सरकार के फैसले में कोई अनियमितता नहीं मिली. राफेल सौदे में उन्हें कोई संदेह नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने सवाल खड़े किए. उन्होंने इस फैसले को गलत करार देते हुए कहा, ‘हमारे विचार में राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल गलत है, हम अपना विचार नहीं छोड़ेंगे. हम इस बात पर जल्द फैसला करेंगे की सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जाए या नहीं.’ 

इस फैसले पर विपक्ष ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. विपक्ष पार्टी कांग्रेस ने इस याचिका पर हस्ताक्षर की मांग के साथ ट्वीट करके कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कह दिया है कि राफेल डील मामले में जाच करना उनकी न्याय सीमा के बाहर है. हम एक संयुक्‍त संसदीय समिति द्वारा इस मामले में जांच करने की मांग करते हैं. पारदर्शिता की मांग के लिए याचिका पर हस्ताक्षर करें.’ वहीं कांग्रेस ने तीन सवाल और खड़े किए हैं. पहला सवाल है कि यदि यूपीए की डील के समय से ही सब एक जैसा है तो अब हर विमान की कीमत में 300 प्रतिशत का इजाफा क्यों?

दूसरा सवाल क्यों पीएम मोदी ने कर्ज में डूबी और अनुभवहीन कंपनी रिलायंस को रक्षा क्षेत्र में 70 साल से ज्यादा का अनुभव रखने वाली कंपनी से ज्यादा महत्व दिया?

तीसरा सवाल क्यों पीएम मोदी ने डीपीपी के नियमों का उल्लंघन किया और वेंडर को अनिल अंबानी की रिलायंस रक्षा को चुनने के लिए प्रभावित किया?

रणदीप सुरजेवाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट का फैसला कांग्रेस की उस बात की पुष्टि है करता है जो कांग्रेस महीनों से कह रही थी कि सुप्रीम कोर्ट इस तरह के रक्षा कॉन्ट्रेक्ट जैसे संवेदनशील मामले में फैसला लेने की जगह नहीं है. अनुच्छेद 136 और 32 इस मुद्दे, मूल्य निर्धारण, प्रक्रिया, गारंटी और राफेल डील में भ्रष्टाचार पर निर्णय लेने के लिए सही मंच नहीं हैं. इसके लिए सही मंच केवल संयुक्त संसदीय समिति है जो राफले डील में पूरे भ्रष्टाचार की जांच कर सकती है.’

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस फैसले पर संयुक्‍त संसदीय समिति जांच की मांग उठाई है. वहीं इस फैसले पर सर्वभारतीय तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने वो कहा जो उन्हें सही लगा लेकिन राजनीतिक पार्टियां मामले में संयुक्‍त संसदीय समिति जांच की मांग करती हैं.’

कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम मुद्दों पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. हम राफेल डील मामले में संयुक्‍त संसदीय समिति द्वारा डांच की मांग रखते हैं. संयुक्‍त संसदीय समिति के पास सभी कागजात मंगाने का अधिकार है. प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट के विरोधात्मक फैसले पर खुशी मनाने का कोई कारण नहीं है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उनका इस मामले की गहराई में जाना सही नहीं होगा.

आम आदमी पार्टी ने भी कांग्रेस के सुर में सुर मिलाए हैं. आम आदमी पार्टी ने भी इस मामले में संयुक्‍त संसदीय समिति जांच की मांग की है. आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा, ‘देश के सर्वोच्च सदन की शक्तियों को नजरअंदाज करना गलत होगा, हम अपनी मांग दोहरा रहे हैं कि राफेल पर जांच के लिए संयुक्‍त संसदीय समिति का गठन हो और जांच की जाए. उच्चतम न्यायालय के आदेशों का पूरा सम्मान है लेकिन ये जवाब आज भी अधूरा है कि कैसे 12 दिन पहले बनी कंपनी को ऑफसेट पार्टनर बना दिया गया, ये संयुक्‍त संसदीय समिति के माध्यम से पता लगाया जा सकता है.

Tags

Advertisement