Opinion On CAB: नागरिकता संशोधन बिल (CAB) राज्यसभा से पास हो गया है. इस बिल के पास होने से असम के लोगों में काफी आक्रोश है. हो भी क्यों नहीं, क्योंकि उनके अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. असम के लोग तरूण गोगोई की 15 वर्षों की सरकार इसलिए नहीं उखाड़ फेका था. इसके पीछे कई कारण थे. क्यों चुनाव प्रचार में बीजेपी ने उन्हें घुसपैठ और बांग्लादेश की सीमा बंद करने वायदा किया था. लेकिन ये वायदा नहीं किया गया था कि घुसपैठियों देश का नागरिक बनाया जाएगा.
नई दिल्ली. Opinion On Assam Tripura Protest Over CAB: नागरिकता संशोधन बिल (CAB) कल यानी कि 11 दिसंबर को राज्यसभा से भी पास हो गया है. नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद से ही पूर्वोत्तर भारत जल रहा है. स्थानीय लोग इस बिल के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं. स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी बंद हो गई हैं. एग्जाम भी कैंसल कर दिए गए हैं. पूरे राज्य में अगले 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है. वही पीएम मोदी झारखंड में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि- आप लोग मुझपर भरोसा करिए, आपकी संस्कृति, भाषा पर इससे कोई असर नहीं पड़ेगा.
पीएम मोदी के इस बयान को लेकर बताना चाहूंगा कि असम के लोगों ने बीजेपी पर भरोसा करके ही पिछले विधानसभा चुनाव में वोट दिया था. भरोसा नहीं होता तो तरुण गोगोई की 15 वर्षों की सरकार नहीं गिरती. ये असम के लोगों का भरोसा ही था कि वहां पर आपका “84” चुनावी वायदा पूरा हुआ और आपको राज्य की 126 सीटों में से कुल 88 सीटों पर जीत मिली.
इन मुद्दों को याद करिये मोदी जी कि भरोसा असम के लोग नहीं, आप तोड़ रहे हैं-
1. असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया था. चुनाव प्रचार के दौरान असमिया अस्मिता की बात की जाती थी, रैलियों में बोला जाता था कि अगर बांग्लादेशी घुसपैठ कम नहीं होता है तो असम में असमिया लोग अल्पसंख्यक हो जाएंगे. सवाल है कि क्या नागरिकता संशोधन बिल (CAB) लागू होने से असमिया लोगों की संख्या कम नहीं होगी.
2- बोडो फ्रंट का मामला यानी कि बोडो समुदाय के लोगों की कद्र न करना. नागरिकता संशोधन बिल लागू होने से उनकी कद्र होने लगेगी.
3- असम में 34 फीसदी मुस्लिम आबादी है, जो कि असमिया है. दरअसल, असम में हिंदू, मुश्लिम और सिख का कोई मतलब नहीं होता है. जो असम में पैदा हुआ और असमिया बोलता है, वह असम का निवासी है. अगर असमिया मुश्लिम मोदी जी और बीजेपी पर भरोसा नहीं करते तो 49 मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 15 सीटें नहीं मिलतीं.
4- असम विधानसभा चुनाव का मुख्य मुद्दा पहचान ही था. सभी राजनीतिक पार्टियों ने असमिया, बोडो, दिमसा और बंगालियों की पहचान के साथ ही बाहरी-बांग्लादेशी का मुद्दा उठाया था. चुनाव से पहले आए सभी सर्वे में 70-75 फीसदी लोगों ने बांग्लादेशी घुसपैठ को चुनाव का सबसे अहम मुद्दा बताया था. लेकिन आज वहीं घुसपैठिए बांग्लादेश के प्रताड़ित किए गए हिंदू हो गए हैं.
5- 19 लाख घुसपैठियों को अगर असम में बसाया जाएगा तो हक असमियां लोगों का मारा जाएगा. न कि अन्य राज्यों की. असम के लोग त्रिपुरा जैसे नहीं होना चाहते हैं. आज के समय में त्रिपुरा में बाहरी लोगों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई कि खुद की भाषा और कल्चर पूरी तरह से खत्म हो चुका है.
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