Onion Price: नवरात्रि के बाद प्याज के दामों में तेज उछाल, किसानों को राहत लेकिन खरीदार परेशान

नई दिल्ली: नवरात्र के बाद प्याज की कीमतें बढ़नी शुरू हो गई हैं. सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र राज्य में इसका भाव 4500 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया है. बताया जा रहा है क‍ि प्याज की दाम और बढ़ सकते हैं. इससे क‍िसानों को राहत म‍िली है लेक‍िन खरीदने वाले लोग (उपभोक्ता) परेशान हैं. चुनावी सीजन के बीच प्याज के बढ़ते दाम ने सरकार की च‍िंता बढ़ा दी है. वहीं इत‍िहास गवाह है क‍ि प्याज की महंगाई से ग‍िरे उपभोक्ताओं के आंसुओं से कई बार सरकार तक बदल गई हैं. 5 राज्यों में व‍िधानसभा चुनाव चल रहे हैं और इस बीच प्याज का दाम बढ़ना सरकार के ल‍िए बड़ा स‍िरदर्द बन गया है. लेक‍िन उपभोक्ताओं की खुशी से अधिक उन क‍िसानों की खुशी जरूरी है जो प‍िछले 2 साल से कम दाम पर प्याज बेचने को मजबूर थे. तब क‍िसानों के जख्मों पर मरहम लगाने वाला कोई नहीं था।

इन सब के बीच आज असली मुद्दा यह है क‍ि आख‍िर दाम बढ़ क्यों रहे हैं. दरअसल प्याज का दाम बढ़ने के पीछे एक लंबी कहानी है जो प‍िछले दो साल से ल‍िखी जा रही थी. इसके ल‍िए हमारा बाजार और सरकार दोनों ज‍िम्मेदार हैं. इस स्थिति में कहा जा सकता है क‍ि बीते कुछ वर्षों से दो से दस रुपये कि‍लो तक के भाव पर ब‍िक रहा प्याज अपनी बदहाली से तंग आकर अब बदला लेने के तेवर में है।

रकबा और उत्पादन

आपको बता दें कि कम दाम से परेशान क‍िसानों ने प्याज की खेती का रकबा घटा द‍िया है. इसकी तस्दीक केंद्रीय कृष‍ि मंत्रालय की एक ताजी र‍िपोर्ट कर रही है. इसका व‍िश्लेषण करने पर पता चलता है क‍ि देश में प‍िछले एक साल में प्याज की खेती का रकबा दो लाख हेक्टेयर कम हो गया है. जबक‍ि उत्पादन 14,82,000 मीट्र‍िक टन कम हो गया है जो इस साल सरकार द्वारा बफर स्टॉक के ल‍िए खरीदे गए प्याज से 3 गुना है. बता दें कि प‍िछले एक साल में ही प्याज की खेती का रकबा दस फीसदी से ज्यादा कम हो गया।

क्या है समाधान

बता दें कि दाम अधिक बढ़ने से महंगाई बढ़ती है लेक‍िन महंगाई के ल‍िए क्या चावल, गेहूं, दालें, टमाटर और प्याज ही ज‍िम्मेदार हैं. हमें इस पर भी अधिक ध्यान देने की जरूरत है. क‍िसी भी चीज का दाम इतना ज्यादा नहीं होना चाह‍िए क‍ि उपभोक्ताओं की पहुंच से वो चीज बाहर हो जाए और इतना भी दाम कम नहीं होना चाह‍िए क‍ि क‍िसान उसकी खेती करना बंद कर दे. इसल‍िए क‍िसानों को उनकी लागत से अधिक दाम देना जरूरी है. वरना इस वजह से एक-दो साल आप ज‍िस चीज को बहुत सस्ता खरीदेंगे लेकिन तीसरे साल बाद वह चीज आपकी पहुंच से बाहर हो जाएंगे।

क्या चाहते हैं क‍िसान

सवाल यह भी उठ रहा है क‍ि क‍िसानों को कोई सरकार क्यों नाराज करना चाहेगी. सरकार आख‍िर प्याज क‍िसानों के भले की नीत‍ियां क्यों नहीं बनाती? वहीं महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत द‍िघोले का कहना है क‍ि केंद्र सरकार आजादी के 75 साल बाद भी प्याज को लेकर कोई पॉल‍िसी नहीं बनाई है. केंद्र सरकार की एक ही पॉल‍िसी है क‍ि उपभोक्ताओं के ल‍िए सस्ता प्याज चाह‍िए. जिससे वोटर नाराज न हों. हम यह नहीं चाहते है क‍ि उपभोक्ताओं को 100 या 200 रुपये क‍िलो प्याज म‍िले, लेक‍िन हमें यह भी मंजूर नहीं है क‍ि हमें अपनी उपज दो या तीन रुपये क‍िलो पर बेचने पर मजबूर होना पड़े।

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