जेपीसी इस बिल पर सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा करेगी। बताया जा रहा है कि वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर होने वाली चर्चा में सभी राज्यों की विधानसभा के स्पीकर और देशभर के बुद्धिजीवियों को बुलाया जाएगा।
नई दिल्ली। वन नेशन-वन इलेक्शन बिल को संसद के मौजूदा सत्र में ही पेश किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, सरकार इस बिल पर सभी दलों की सहमति बनाना चाहती है, जिसकी वजह से वह बिल को चर्चा के लिए जेपीसी यानी जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास भेजेगी।
जेपीसी इस बिल पर सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों के साथ गहन चर्चा करेगी। बताया जा रहा है कि वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पर होने वाली चर्चा में सभी राज्यों की विधानसभा के स्पीकर और देशभर के बुद्धिजीवियों को बुलाया जाएगा। इसके साथ ही आम लोगों की भी इस बिल पर राय ली जाएगी।
बता दें कि नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने सितंबर महीने में ही वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी थी। मालूम हो कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लोकसभा चुनाव के अपने घोषणा पत्र में वन नेशन वन इलेक्शन का वादा किया था। 15 अगस्त-स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से दिए गए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत की थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि बार-बार हो रहे चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
इससे पहले वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार करने के लिए बनी कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस कमेटी की रिपोर्ट 18, 626 पन्नों की है। गौरतलब है कि यह कमेटी 2 सितंबर 2023 को गठित हुई थी। इस कमेटी ने 2029 तक सभी विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाने का सुझाव दिया है। जिसके बाद लोकसभा के साथ सभी विधानसभाओं के चुनाव करवाए जा सकें।
गौरतलब है कि विपक्षी दल वन नेशन वन इलेक्शन का पुरजोर विरोध कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि बीजेपी वन नेशन वन इलेक्शन के जरिए देश में ‘एक पार्टी राज’ स्थापित करना चाहती है। कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई बड़े विपक्ष दल वन नेशन वन इलेक्शन के खिलाफ हैं।