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स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद एक और सपा नेता ने रामचरितमानस को लेकर दिया विवादित बयान,

लखनऊ : सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब एक और समाजवादी के नेता ने धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है. धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान देने वाले सपा नेता व पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति हैं. इन्होने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान का समर्थन किया है. […]

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स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद एक और सपा नेता ने रामचरितमानस को लेकर दिया विवादित बयान,
  • January 24, 2023 9:35 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ : सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद अब एक और समाजवादी के नेता ने धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया है. धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान देने वाले सपा नेता व पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति हैं. इन्होने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान का समर्थन किया है.

सोशल मीडिया पर पोस्ट किया शेयर

सपा नेता और पूर्व विधायक ब्रजेश प्रजापति का कहना है कि रामचरितमानस में कुछ आपत्तिजनक पंक्तियां हैं, जिन्हें सरकार को हटा देना चाहिए नहीं तो फिर रामचरित मानस को ही बैन कर दिया जाए. ब्रजेश प्रजापति के अनुसार धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों से आदिवासी, दलित, पिछड़े समाज और महिलाओं को ठेस पहुंचती है.अपने इस बयान के साथ सपा के पूर्व विधायक ने अपने सोशल मीडिया पर रामचरित मानस की एक चौपाई को हाईलाइट करते हुए शेयर किया है. इसके कैप्शन में उन्होंने लिखा ‘इस पर हमारा भी विरोध है.’

भाजपा से विधायक थे ब्रजेश

गौरतलब है ब्रजेश प्रजापति बांदा की तिन्दवारी विधानसभा से भाजपा विधायक रह चुके हैं. लेकिन 2022 के चुनावों में स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा छोड़ने पर ब्रजेश प्रजापति ने भी पार्टी बदल ली थी. दोनों नेता समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.

बयान पर कायम हैं सपा नेता

अब स्वामी प्रसाद मौर्य ने बताया है कि उन्होंने न तो भगवान राम का अपमान किया और ना ही रामचरितमानस का अपमान किया. उनका कहना है कि, ‘हमें कुछ चौपाइयों पर आपत्ति है.’ स्वामी प्रसाद ने बताया कि उन्होंने किसी ग्रंथ या भगवान के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है. बल्कि उन्हें तो रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों से आपत्ति हैं. हालांकि उन्होंने ये भी साफ़ किया कि वह अभी भी अपने बयान पर कायम हैं. उन्हें बस उन चौपाइयों पर आपत्ति है जिसमें दलितों और पिछड़ों को अपमानित किया गया है. उनकी मांग है कि रामचरितमानस के उस अंश को निकाल दिया जाए.

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