एक ज़माने में चलता था 5 और 10 हज़ार का नोट, फिर क्यों हुआ बंद

नई दिल्ली: 8 नवंबर 2016 का दिन तो हर जनता को याद ही होगा। लेकिन इसी कड़ी में अब 19 मई 2023 का दिन भी सभी को याद रहेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 के सबसे बड़े करेंसी नोट को चलन से हटाने का ऐलान किया। हालांकि, यह लीगल टेंडर […]

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एक ज़माने में चलता था 5 और 10 हज़ार का नोट, फिर क्यों हुआ बंद

Amisha Singh

  • May 20, 2023 10:47 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

नई दिल्ली: 8 नवंबर 2016 का दिन तो हर जनता को याद ही होगा। लेकिन इसी कड़ी में अब 19 मई 2023 का दिन भी सभी को याद रहेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2000 के सबसे बड़े करेंसी नोट को चलन से हटाने का ऐलान किया। हालांकि, यह लीगल टेंडर रहेगा। रिजर्व बैंक के मुताबिक, 23 मई से 30 सितंबर तक 2000 के नोट बैंक में जाकर बदलवाए जा सकते हैं। एक बार में नोट बदलने की सीमा 20,000 रुपए है।

Reserve Bank of India ने एक बयान जारी कर बैंकों को ग्राहकों को 2000 के नोट जारी नहीं करने की सलाह भी दी है। अगर आपके पास भी 2000 के नोट हैं, तो आप उन्हें अपने खाते में जमा कर सकते हैं या बैंक शाखा में जाकर उन्हें बदल सकते हैं।

 

➨ आजादी से पहले नोटबंदी

1946 में पहली बार बड़ी रकम के बैंकनोटों को बंद किया गया था। 12 जनवरी, 1946 को, ब्रिटिश भारत के तत्कालीन गवर्नर-जनरल सर आर्चीबाल्ड (Governor-General Sir Archibald) ने नोटेबंदी के लिए एक अध्यादेश जारी किया था। 13 दिनों के बाद यानी कि 26 जनवरी 1946 को 500, 1,000 और 10,000 रुपए के नोट चलन से बाहर हो गए। आजादी से पहले, 100 रुपये से ज़्यादा के सभी बैंक नोट बंद हो गए थे। यह फैसला काले धन को खत्म करने के मकसद से किया गया था। ऐसा माना जाता था कि भारतीय व्यवसायियों ने बहुत संपत्ति अर्जित की थी और इसे Tax व सरकार की नज़र से छुपा कर रखा था।

 

 

➨ 1978 की नोटबंदी…

उस समय केंद्र में जनता पार्टी की सरकार थी और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री थे। जनता पार्टी की सरकार को सत्ता में आए अभी एक साल ही हुआ था। 14 जनवरी 1978 को कथित तौर पर RBI को बताया गया कि सरकार ने बड़े नोटों को बंद करने का फैसला किया है। बाद में RBI ने नोट वापस लेने का आदेश जारी किया और इसे उस वक़्त के चेयरमैन नीलम संजीव रेड्डी ने भी मंजूरी दी थी। इसके साथ ही 16 जनवरी 1978 को 1,000, 5,000 और 10,000 रुपए के नोट बंद कर दिए गए। इस बारे में 16 जनवरी की सुबह आकाशवाणी रेडियो पर खबर दी गई। यह फैसला भी भ्र्ष्टाचार को लेकर किया गया था।

 

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