नई दिल्ली: आज के समय में ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे जिन्हें कोर्ट कचहरी जाने की जरूरत ना पड़ती हो. हरेक घर में किसी न किसी समस्या को लेकर कोर्ट कचहरी में मुकदमा चलता रहता हैं, जिसके कारण व्यक्ति को कानूनी सलाह लेने के लिए वकील की जरुरत पडती है. वकील कोर्ट के अंदर […]
नई दिल्ली: आज के समय में ऐसे बहुत कम ही लोग होंगे जिन्हें कोर्ट कचहरी जाने की जरूरत ना पड़ती हो. हरेक घर में किसी न किसी समस्या को लेकर कोर्ट कचहरी में मुकदमा चलता रहता हैं, जिसके कारण व्यक्ति को कानूनी सलाह लेने के लिए वकील की जरुरत पडती है. वकील कोर्ट के अंदर जहा पर बैठते हैं, उसे चैंम्बर के नाम से जाना जाता है. यह चैंम्बर वकीलों को किस आधार पर मिलता है आज हम उसी के बारे में बात करने जा रहे हैं.
कोर्ट के अंदर वकील की पहचान उसकी चैंम्बर से ही होती है. आज हम जानेंगे कि आखिर कैसे सुप्रीम कोर्ट के अंदर एक वकील को चैंम्बर मिलता है. देश के सभी कोर्ट में बार एसोसिएशन होता है. इसके साथ ही एक चैंम्बर अलाॅटमेंट कमेटी भी होती है. कमेटी का हेड कोर्ट का प्रमुख होता है. इसी प्रकार सुप्रीम कोर्ट के अलाटमेंट कमेटी का हेड चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया. वहीं, हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस होते हैं.
चेम्बर अलाॅटमेंट कमेटी द्वारा भी चैंम्बर आवंटित किया जाता है. वकीलों को वकालत करने के लिए बार एसोसिएशन में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. साथ ही अपनी श्वेच्छा से वकील चैंम्बर अलाॅटमेंट कमेंटी में फार्म भी भर सकता है. फार्म भरने के बाद चैंम्बर, अलाॅटमेंट के वेटिंग लिस्ट में आ जाता है. वेटिंग लिस्ट में आने के बाद कोर्ट के अंदर जैसे ही चैंम्बर उपलब्ध होता है वेटिंग लिस्ट के आधार पर उन्हें चैंम्बर प्रदान कर दिया जाता है.
जानकारी के अनुसार चैंम्बर अलाॅटमेंट के लिए कैंडिडेट को चार हजार रुपये सिक्योरिटी के रुप में जमा करना पड़ता है. कभी कभी देखने को मिलता है कि एक ही चैंम्बर में, एक साथ दो से अधिक वकीलों को अलाॅट कर दिया जाता है. यह चैंम्बर के आकार के ऊपर निर्भर करता है कि चैंम्बर का साइज छोटा है या बड़ा. वही चैंम्बर के लिए लाइसेंस फीस भारत सरकार तय करती है. यह फीस वकीलों को समय-समय पर जमा करना पड़ता है. साथ ही साथ चैंम्बर के अंदर बिजली, पानी अन्य खर्च भी देना पड़ता है.