गांधीनगर/नई दिल्ली: बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों को सजा में मिली छूट को सुप्रीम कोर्ट ने आज रद्द कर दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करते हुए सभी दोषियों को 2 सप्ताह के भीतर जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले केे बाद गुजरात के देवगढ़ बरिया में स्थित बिलकिस बानो के घर खुशियों का माहौल है. उनके घर के बाद पटाखे फोड़े गए हैं.
मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार को दोषियों की रिहाई का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. इस केस की सुनवाई जब महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई का फैसला भी वहीं की ही सरकार करेगी. कानून के मुताबिक जिस राज्य में अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा मिलती है. उसी सरकार के पास दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने का अधिकार होता है.
बता दें कि बिलकिस बानो ने गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को देश की सबसे बड़ी अदालत ‘सुप्रीम कोर्ट’ में दो याचिका दायर की थी. पहली याचिका में दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई थी और उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी. वहीं, दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश पर विचार करने की मांग की गई थी, जिसमें अदालत ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात की सरकार करेगी. बिलकिस बानो ने कहा कि जब मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था तो दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार कैसे ले सकती है? मालूम हो कि गुजरात सरकार ने 15 अगस्त 2022 को केस के सभी दोषियों को रिहा कर दिया था.
बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला, दोषी फिर जाएंगे जेल
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