लॉ एजुकेशन पर CJI चंद्रचूड़ बोले केवल अंग्रेजी बोलने वाले बच्चों को नहीं…

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को यहां कहा कि विधि विश्वविद्यालय की शिक्षा सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक सुलभ जानी चाहिए जिससे छोटे कस्बे के विद्यार्थी इससे वंचित ना रहें। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने हमें दूर दराज के विद्यार्थियों तक पहुंचने की क्षमता दी है। उन्होंने कहा कि विधि शिक्षा में विकास के बावजूद समकालीन विधि शिक्षा व्यवस्था सिर्फ अंग्रेजी बोलने वाले शहरी बच्चों का पक्ष लेती है।

क्या बोले चंद्रचूड़?

चंद्रचूड़ ने कहा कि पांच विधि विश्वविद्यालय में विविधता को लेकर किए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि अंग्रेजी नहीं बोल पाने के कारण विविध पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे इन विश्वविद्यालयों में दाखिला नहीं ले पाते हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि आज भाषिणी सॉफ्टवेयर की सहायता से हमने 1950 से 2024 तक उच्चतम न्यायालय के लगभग 36,000 फैसलों का अनुवाद किया है। इसका लक्ष्य ऐसे हर नागरिक तक इन्हें पहुंचाना है जो अंग्रेजी नहीं जानते तथा जनपद न्यायालयों में वकालत करते हैं।

पढ़ाई का माध्यम हिंदी हो

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने डाक्टर राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय प्रशासन से अपील की कि पढ़ाई का माध्यम हिंदी रखा जाना चाहिए, जिससे उत्तर प्रदेश से सर्वोत्तम विद्यार्थी, सर्वोत्तम अधिवक्ता बनें। इनमें से कई इलाहाबाद हाई कोर्ट और कई जनपद न्यायालयों में वकालत करेंगे। चंद्रचूड़ ने आगे कहा कि जब सभी को शिक्षा में समान अवसर प्रदान किया जाता है तो रोजगार और समाज में योगदान के अवसर प्राप्त होते हैं।

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