Om Birla Next Lok Sabha Speaker:नरेंद्र मोदी कैबिनेट में चौंकाने वाले फैसलों का दौर जारी है. लोकसभा स्पीकर पद के लिए आठ बार की सांसद मेनका गांधी और राज्य मंत्री संतोष गंगवार का नाम चल रहा था. दोनों ही लंबे समय से सांसद हैं और मोदी सरकार में मंत्री भी थे. लेकिन अब एक चौंकाने वाली खबर आ रही है कि राजस्थान के कोटा से दो बार के सांसद ओम बिरला को लोगसभा का नया स्पीकर बनाया जा सकता है. ओम बिरला नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं.
नई दिल्ली. Om Birla Next Lok Sabha Speaker:नरेंद्र मोदी कैबिनेट में चौंकाने वाले फैसलों का दौर जारी है. लोकसभा स्पीकर पद के लिए आठ बार की सांसद मेनका गांधी और राज्य मंत्री संतोष गंगवार का नाम चल रहा था. दोनों ही लंबे समय से सांसद हैं और मोदी सरकार में मंत्री भी थे. लेकिन अब एक चौंकाने वाली खबर आ रही है कि राजस्थान के कोटा से दो बार के सांसद ओम बिरला को लोगसभा का नया स्पीकर बनाया जा सकता है. ओम बिरला नरेंद्र मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. पार्टी से जुड़े वरिष्ठ सूत्र के अनुसार मेनका गांधी का नाम मीडिया में भले उछाला जा रहा हो लेकिन पार्टी के अंदर उनके स्पीकर बनने की कोई चर्चा नहीं थी. बताया जा रहा है कि पार्टी वरूण गांधी के कामकाज से खुश नहीं थी और उनका टिकट काटने जा रही थी. मेनका गांधी और पार्टी आलाकमान में इस बात पर सहमति बनी कि वरूण को टिकट इसी शर्त पर दिया जाएगा कि अगली सरकार में दोनों को कोई मंत्री पद नहीं मिलेगा. संतोष गंगवार की बात करें तो वो बीजेपी के सबसे लंबे समय तक राज्यमंत्री रहने वाले सांसद हैं. संतोष गंगवार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी राज्य मंत्री थे, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उन्हें राज्य मंत्री ही बनाया गया. इस बार भी उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया है. बिना प्रमोशन के सबसे लंबे समय तक राज्य मंत्री रहने का संभवत: यह एक रिकॉर्ड हो. बता दें कि 19 जून को लोकसभा का नया स्पीकर चुना जाएगा. इसके बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी. इतना जरूर कहा जा सकता है कि ओम बिरला इस रेस में सबसे आगे हैं.
सोमवार से 17वीं लोकसभा का बजट सत्र शुरू हो चुका है. पहले दो दिन प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार सभी सांसदों को शपथ दिला रहे हैं. अब एक बड़ी खबर सामने आ रही है. लोकसभा स्पीकर पद के लिए राजस्थान के कोटा-बूंदी से सांसद ओम बिरला का नाम सबसे आगे चल रहा है. ओम बिरला कोटा से दूसरी बार सांसद चुने गए हैं. बता दें कि लोकसभा की पिछली स्पीकर सुमित्रा महाजन ने इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. ओम बिरला को मोदी और शाह की जोड़ी का करीबी माना जाता है. राजस्थान ने लगातार दूसरी बार सारी लोकसभा सीटों पर बीजेपी को जिताया है. 2014 और 2019 लोकसभा चुनावों में राजस्थान की सभी 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की. ऐसे में राजस्थान के सांसदों की मोदी कैबिनेट में खास भूमिका की चर्चा पहले से ही जोरों पर थी.
कौन हैं ओम बिरला (Who is Om Birla BJP MP Kota Rajasthan)
ओम बिरला राजस्थान के कोटा से आते हैं. कोटा राजस्थानी सिल्क और तैयारी करने वाले छात्रों की वजह से मशहूर है. 2003 में पहली बार विधायक बने ओम बिरला ने कुल तीन बार विधायकी का चुनाव जीता. 2014 में उन्होंने पहली बार कोटा-बूंदी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. 2019 लोकसभा चुनावों में भी ओम बिरला की जीत हुई और वो दूसरी बार संसद भवन पहुंचे हैं. लोकसभा में ओम बिरला स्टैंडिंग कमेटी ऑन एनर्जी के सदस्य थे. ओम बिरला पहली बार चर्चा में आए थे 2012 में जब उन्होंने परिधान नाम की स्कीम लॉन्च की. इसमें गरीब बच्चों को कपड़े और किताबें बांटी जाती थीं. ओम बिरला के परिवार में उनकी पत्नी अमृता और दो बेटियां आकांक्षा और अंजलि हैं.
Amita Birla, wife of BJP MP Om Birla, who reportedly is the NDA candidate for the post of Lok Sabha Speaker: It is a very proud and a happy moment for us. We are very thankful to the cabinet for choosing him. (In pic 2&3 : BJP MP Om Birla) pic.twitter.com/lPYB2jQEQn
— ANI (@ANI) June 18, 2019
राजस्थान के मुख्यमंत्री के तौर पर जब उछला ओम बिरला का नाम
ओम बिरला विधायक भले 2003 में बने हों लेकिन बीजेपी से उनका जुड़ाव काफी पुराना है. 1987 में ओम बिरला कोटा में भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा (भाजयुमो) के जिला अध्यक्ष बने. 1991 में वो भाजयुमो के राजस्थान अध्यक्ष बने. 1997 में ओम बिरला को भाजयुमो का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. ओम बिरला का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए भी उछला था. कहा तो ये भी गया कि पार्टी आलाकमान वसुंधरा राजे के पर कतरने के लिए ओम बिरला को आगे कर रहा है. हालांकि वसुंधरा अपने सभी विधायकों के साथ दिल्ली पहुंच गई थीं. पार्टी ने तब वसुंधरा राजे की बात माननी पड़ी. हालांकि इससे इतना जरूर साफ हो गया कि ओम बिरला पर दिल्ली की पैनी नजर है. शायद यहीं कारण है कि अब लोकसभा अध्यक्ष के तौर उनका नाम सबसे आगे चल रहा है.