नई दिल्ली: दिल्ली के मेहरौली इलाके में 30 जनवरी की सुबह एक पुरानी मस्जिद और मदरसे को बुलडोजर से ढहा दिया गया था. दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने 800 साल पुरानी अखूंदगी मस्जिद और मदरसे को अवैध बताया था और उन्होंने कहा था कि यह संजय वन के संरक्षित क्षेत्र में बनाया गया था जिसके चलते तोड़ा गया. यह मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गया है. वहीं कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण से जवाब मांगा है. दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण से पूछा है कि मस्जिद को किस आधार पर तोड़ा गया।
मस्जिद और मदरसे पर दिल्ली विकास प्राधिकरण का बुलडोजर चल जाने के बाद वक्फ बोर्ड की ओर से याचिका दायर की गई थी. इस याचिका पर दो फरवरी को सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए से मस्जिद तोड़े जाने का आधार पूछा है. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण एक सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करे, जिसमें साफ तौर पर प्रॉपर्टी संबंधित कार्रवाई और उसके आधार पर स्पष्टीकरण दिया जाए. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने दिल्ली विकास प्राधिकरण से यह भी बताने को कहा कि विध्वंस करने से पहले लोगों को इसकी जानकारी पहले से दी गई थी या नहीं।
मस्जिद विध्वंस होने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता की तरफ से वकील शम्स ख्वाजा ने कोर्ट में कहा कि धार्मिक समिति को किसी भी ध्वस्तीकरण कार्रवाई करने का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है. दिल्ली विकास प्राधिकरण के वकील द्वारा दी गई दलीलों के जवाब में ख्वाजा ने अपनी यह बात रखी थी. इस मामले में अब 12 फरवरी को सुनवाई होगी।
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