भारतीय विदेश मंत्रालय को एनआरआई पतियों द्वारा प्रताड़नाओं की शिकार महिलाओं की इस साल अभी तक 765 कॉल्स मिली हैं. इनमें से ज्यादातर मामले दहेज से जुड़े हुए हैं.
नई दिल्लीः विदेश में भारतीय महिलाओं पर अत्याचार जारी हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एनआरआई दूल्हों संग शादी कुछ भारतीय युवतियों के लिए आज भी परेशानी का सबब बना हुआ है. ताजा जानकारी के मुताबिक, भारतीय विदेश मंत्रालय के पास इस साल पिछले 200 दिनों में पति या ससुरालियों की प्रताड़ना झेल रही महिलाओं की 765 कॉल्स आई हैं. विदेश मंत्रालय खुद इस बात को स्वीकार करता है कि उनके पास इस मामले में रोजाना लगभग 3 कॉल्स आती हैं.
ताजा आंकड़ों के अनुसार, 2018 में अभी तक विदेश मंत्रालय को विदेश में प्रताड़ित महिलाओं के 765 कॉल्स मिले हैं. हालांकि यह आंकड़ा 2017 में मिली कॉल्स के मुकाबले लगभग आधा है और 2015 के बराबर है. 2015 में मंत्रालय को 796 कॉल्स मिली थीं. 2016 में यह आंकड़ा बढ़ गया था. इस साल 1510 कॉल्स मिलीं. हालांकि 2017 में इसमें कमी आई और मंत्रालय के पास 1022 महिलाओं ने प्रताड़ना की शिकायत दर्ज कराई.
पिछले दो वर्षों में मंत्रालय ने विदेश में रह रहीं ऐसी कई महिलाओं की मदद की है जो पहले भारत सरकार से मदद नहीं मांग पाती थीं. जानकारों की मानें तो एनआरआई महिलाओं के सरकार से एक मदद मांगे की यह एक पुख्ता वजह है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि आंकड़ों के आधार पर ज्यादातर पंजाब और आंध्र प्रदेश की महिलाएं ससुरालियों द्वारा ज्यादती का शिकार होती हैं. यह मामले दहेज से भी जुड़े होते हैं.
एनआरआई पुरुष पहले भारतीय युवतियों से शादी करते हैं और फिर दहेज की मांग के चलते उन्हें छोड़ देते हैं. मंत्रालय को मिली ज्यादातर शिकायतों में पतियों द्वारा प्रताड़ना और पत्नियों की देखभाल न करना सबसे ज्यादा है. पिछले साल सितंबर में भारत सरकार ने विदेश में प्रताड़ना की शिकार महिलाओं को दी जाने वाली आर्थिक मदद (कानूनी मदद) 3 हजार डॉलर से बढ़ाकर 4 हजार डॉलर कर दिया था. जून 2018 में सरकार ने एनआरआई शादियों को 7 दिनों के भीतर रजिस्टर कराना भी अनिवार्य कर दिया है.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले महीने कहा था कि सरकार इस तरह के मामलों में जल्द कानून लेकर आएगी. पत्नियों को प्रताड़ित करने वाले पतियों के खिलाफ समन और वॉरंट जारी किए जाएंगे. इस साल सरकार की ओर से इन्हीं तरह के मामलों में 6 पतियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया गया है. अमेरिका में भारतीय दूतावास में कार्यरत आरती राव इस बात की तस्दीक करती हैं कि प्रताड़नाओं से जुड़े ज्यादातर मामले दहेज से जुड़े होते हैं.
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